9. परमेश्‍वर द्वारा अब्राहम से की गयी प्रतिज्ञायें

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9. God’s promises to Abraham

साप्ताहिक पाठ – उत्पत्ति, अध्याय 30-32; 1 तीमुथियुस, अध्याय 4-6

प्रश्‍नोत्‍तर के लिये पाठ – उत्पत्ति, अध्याय 13; गलातियों, अध्याय 3

यीशु के जन्म से लगभग दो हजार वर्ष पूर्व एक व्‍यक्ति हुआ जिसका नाम अब्राहम था और जिसको बाइबिल में परमेश्वर का मित्र कहा गया है (यशायाह अध्याय 41 और उसका 8 पद)। वह ऊर नगर में रहता था जो उस देश में था जिसे हम आज ईराक कहते हैं जो इस्राएल देश से करीब 800 मील पूर्व में था।

ऊर में रहने वाले लोग सच्चे परमेश्वर (यहोवा) के विषय में कुछ नही जानते थे। वे कई झूठे देवताओं के उपासना करते थे जिनमें मुख्य चन्द्रदेव था। चन्द्र देव के लिये बनाए गए, एक मन्दिर के खण्‍डर वहां पाए गए हैं।

परमेश्वर की ओर से एक संदेश

एक दिन अब्राहम को परमेश्वर की ओर से एक संदेश मिला। हम इस संदेश को उत्पत्ति के बारहवें अध्याय और उसके पहले पद में पढ़ सकते हैं।

‘यहोवा ने अब्राम से कहा, “अपने देश, और अपने कुटुम्बियों, और अपने पिता के घर को छोड़कर उस देश में चला जा जो मैं तुझे दिखाऊँगा।"’ (उत्पत्ति 12:1)

उसे अपने देश को और अपने लोगों को छोड़ने और, एक ऐसे देश को जो परमेश्‍वर उसे दिखाएगा जाने के लिये कहा गया। मैं सोचता हूं कि यदि हमें ऐसा संदेश मिलता तो हम क्या करते? (और उन दिनों में तो सफर भी बहुत ही कठिन और खतरनाक था।)

जब परमेश्वर ने अब्राहम को ऐसा करने को कहा, तो साथ ही परमेश्वर ने उससे यह भी कहा,

‘और मैं तुझ से एक बड़ी जाति बनाऊँगा, और तुझे आशीष दूँगा, और तेरा नाम महान्‍करूँगा, और तू आशीष का मूल होगा। जो तुझे आशीर्वाद दें, उन्हें मैं आशीष दूँगा; और जो तुझे कोसे, उसे मैं शाप दूँगा; और भूमण्डल के सारे कुल तेरे द्वारा आशीष पाएँगे।’ (उत्पत्ति 12:2-3)

अब्राहम ने परमेश्‍वर द्वारा की गयी इन प्रतिज्ञाओं पर विश्वास किया, और परमेश्वर की आज्ञा का पालन भी किया। इब्रानियों की पत्री में लेखक बताता है कि अब्राहम,

‘यह न जानता था कि मैं किधर जाता हूं, तौभी निकल गया।’ (इब्रानियों 11:8)

अन्त में वह अपनी पत्नी सारा और अपने भतीजे लूत के साथ इस्राएल देश को पहुँच गया। उत्पत्ति के तेरवें अध्याय को फिर से पढ़िये। आप देखेंगे कि कैसे लूत ने सबसे अच्छी भूमी (यरदन की सारी तराई) को चुन लिया और अब्राहम अपनी भेड बकरियो और गाय बैलो के लिये इस्राएल की बंजर भूमि में चारा ढ़ूंढता रह गया। परन्तु परमेश्वर अब्राहम के साथ था और उसनें जो प्रतिज्ञाएं अब्राहम से ऊर में की थी उनको और भी बढ़ा दिया।

‘जितनी भूमि तुझे दिखाई देती है, उस सब को मैं तुझे और तेरे वंश को युग युग के लिये दूँगा। और मैं तेरे वंश को पृथ्वी की धूल के किनकों की समान बहुत करुँगा।’ (उत्पत्ति 13:15-16)

एक अद्भुत प्रतिज्ञा

क्या आपने ध्यान दिया कि इस समय परमेश्वर ने अब्राहम को सदा सर्वदा के लिए भूमि देने की प्रतिज्ञा की? सर्वदा के लिये भूमि प्राप्त करने और उस पर अधिकार रखने का अर्थ है कि अब्राहम को सर्वदा के लिये जीवित रहना होगा, इसलिए वास्‍तव में परमेश्वर अब्राहम से अनन्त जीवन देने की प्रतिज्ञा कर रहा था।

इसके अतिरिक्त परमेश्वर ने यह प्रतिज्ञा अब्राहम के सन्तान अर्थात पुत्र से भी की। उस समय अब्राहम और सारा को कोई सन्तान न थी। परमेश्वर ने उससे एक सन्तान अर्थात पुत्र की प्रतिज्ञा की जो उसके साथ भूमि का भागी होगा। उसने यह भी प्रतिज्ञा की कि अब्राहम का वंश एक महान राज्‍य हो जाएगा।

परमेश्वर ने अब्राहम से एक वाचा बांधी

पन्द्रहवें अध्याय को पढ़िये और आप को मालूम होगा कि परमेश्वर ने अब्राहम से की गयी अपनी प्रतिज्ञाओं को पुनः दुहराया और उनमें वृद्धि की।

बहुत समय बीत गया था और अब्राहम वृद्ध हो रहा था। प्रतिज्ञा किया हुआ पुत्र अभी तक नही दिया गया था। परन्तु परमेश्वर ने उसे एक बार फिर आश्वासन दिया कि उसे एक पुत्र होगा और यह कि उसका वंश गिनती में आकाश के तारों के समान होगा।

6 वें पद में हम पढ़ते है कि,

‘अब्राहम ने यहोवा पर विश्वास किया; और यहोवा ने इस बात को उसके लेखे में धर्म गिना।’ (उत्पत्ति 15:6)

अब्राहम भी हमारे समान पाप से मुक्त नहीं था परन्तु उसने परमेश्वर पर विश्वास किया और इस कारण यहोवा परमेश्वर उससे प्रसन्न था। इस समय हमें बताया जाता है कि यहोवा ने अब्राहम के साथ एक वाचा बान्धी वह एक बहुत गम्भीर प्रतिज्ञा है जो कभी भी बदली नही जा सकती है। उत्‍पत्ति के अध्याय 15 और उसके 8 से 18 तक पदों में आप पढ़ेंगे किस तरह यह वाचा बान्धी गई। अब्राहम के समय में एक पशु का वध करने के द्वारा वाचा बान्धी जाती थी। तब व़ध किये गये पशु का भाग लिया जाता था और जिन दो व्यक्तियों के बीच वाचा बान्धी जाती थी उन्हें मांस के टुकडों के बीच चलना पडता था। परन्तु अब्राहम के साथ की गयी वाचा के समय यहोवा परमेश्वर स्वंय टुकडों के बीच नहीं चला। अब्राहम ने एक जलता हुआ दीपक उनके (यहोवा और अपने) बीच जाते हुए देखा।

यह वाचा की दृढ़ थी।

प्रतिज्ञा किया गया बालक

अब्राहम की आयु सौ वर्ष की थी और उसकी पत्नी 90 वर्ष की और तब अन्त में परमेश्वर ने अपनी प्रतिज्ञा को पूरा किया और उन्हें एक पुत्र दिया जिसका नाम इसहाक था। उत्पत्ति के अध्याय 22 में आप अब्राहम का परमेश्वर पर विश्वास का एक अद्भुत उदाहरण पायेंगे। पहले चौदह पदों को पढ़िये। परमेश्वर ने अब्राहम से अपने एकलौते पुत्र इसहाक को बलिदान करने को कहा। तो भी परमेश्वर ने प्रतिज्ञा की थी कि इसहाक के द्वारा अब्राहम का वंश एक बड़ा राज्य बनेगा।

अब्राहम ने क्या किया? वह जानता था कि परमेश्वर अपनी प्रतिज्ञाओं को पूरा करेगा और इसलिए इब्राबियों के अध्याय 11 और उसके 17 से 19 पद हमें बताते है कि,

‘विश्वास ही से अब्राहम ने, परखे जाने के समय में, इसहाक को बलिदान चढ़ाया; और जिसने प्रतिज्ञाओं को सच माना था। और जिससे यह कहा गया था, “इसहाक से तेरा वंश कहलाएगा;” वही अपने एकलौते को चढ़ाने लगा। क्‍योंकि उसने मान लिया, कि परमेश्वर सामर्थी है कि उसे मरे हुओं में से जिलाएगा, अतः उन्‍हीं में से दृष्टान्‍त की रीति पर वह उसे फिर मिला।’ (इब्रानियों 11:17-19)

अब्राहम अपने प्रिय पुत्र को भी बलिदान करने के लिये तैयार था क्‍योंकि वह जानता था कि ईश्‍वर उसे फिर से जीवित कर देगा। इसमें कोई आश्चर्य नहीं कि परमेश्वर अब्राहम के विश्वास और आज्ञापालन से प्रसन्न था। उत्पत्ति के अध्याय 22 और उसके 15-18 पदों में वे प्रतिज्ञाऐं है जो परमेश्‍वर ने फिर से अब्राहम से की।

इसहाक से बड़ा एक वंश

ये घटनाए लगभग चार हजार वर्ष पूर्व हुई और ऐसा लगता है कि वे हमारे लिये कोई महत्व नहीं रखती हैं।

परन्तु अब्राहम का एक पुत्र था जो इसहाक से भी महान था। नए नियम का पहला पद बताता है

‘अब्राहम की सन्तान, दाऊद की सन्तान, यीशु मसीह।’ (मत्ती 1:1)

यीशु भी अब्राहम का प्रतिज्ञा किया हुआ पुत्र था। पौलुस हमें यह गलातियों के तीसरे अध्याय और उसके सोलवें पद में बताता है।

‘अतः प्रतिज्ञाएँ अब्राहम को और उसके वंश को दी गईं। वह यह नहीं कहता, “वशों को;” जैसे बहुतों के विषय में कहा; पर जैसे एक के विषय में कि “तेरे वंश को” और वह मसीह है।’ (गलातियों 3:16)

इसलिये जो प्रतिज्ञाएँ अब्राहम से की गई कि वह हमेशा के लिये इस्राएल की भूमि में रहेगा और पृथ्वी की सारी जातियों के लिये आशीष का कारण होगा और वही प्रतिज्ञाएं प्रभु यीशु मसीह से भी की गई।

जब वह यरूशलेम में फिर से राज्य करने आयेगा तो हम इन प्रतिज्ञाओं को पूरा होते देखेंगे।

हम भी इन प्रतिज्ञाओं के भागी हो सकते है

यदि हम यीशु पर विश्वास रखें और जैसा वह हमसे कहता है वैसा ही करें तो हम भी इन प्रतिज्ञाओं में भागी हो सकते हैं। क्योंकि यदि हम मसीह यीशु के हैं तो हम भी अब्राहम की सन्तान हैं। गलातियों के तीसरे अध्याय और उसके अन्तिम पद में हम पढ़ते हैं,

‘और यदि तुम मसीह के हो तो अब्राहम के वंश और प्रतिज्ञा के अनुसार वारीस भी हो।’ (गलातियों 3:29)

तो इसलिए हम भी प्रतिज्ञाओं के भागी हो सकते है। हम भी अनन्त जीवन प्राप्त कर सकते है और पृथ्वी पर सुख और आनन्द लाने के महान कार्य में मसीह की सहायता कर सकते है।

क्‍योंकि आपको याद होगा कि प्रतिज्ञाओं में से एक प्रतिज्ञा यह भी थी कि,

‘और पृथ्वी की सारी जातियाँ अपने को तेरे वंश के कारण धन्य मानेंगी।’ (उत्पत्ति 22:18)

यह प्रतिज्ञा तब पूरी होगी जब यीशु परमेश्वर का राज्य स्थापित करने के लिये पुन: इस पृ‍थ्‍वी पर आयेंगे।

अब्राहम का क्या होगा?

आप सोचते होंगे कि “अब्राहम का क्या होगा? क्‍योंकि उसको प्रतिज्ञाऐं की हुयी वस्‍तुऐं नही मिली और वह मर गया।”

यह सच है। परन्तु परमेश्वर की प्रतिज्ञाऐं व्यर्थ नही ठहर सकती हैं। जब यीशु फिर से आयेगा तो वह अब्राहम और इसहाक को मृतकों में से जी उठाऐंगे और इन दोनों के अतिरिक्त और बहुत दूसरों को भी – वे सब इस पृथ्वी पर सदा सर्वदा के लिए जीवित रहेंगे और उन आशीषों का आनन्‍द लेगें जो परमेश्‍वर ने उनसे लम्‍बे समय पहले की थी।

सारांश

  1. परमेश्वर ने अब्राहम को ऊर देश छोड़कर एक अनजाने देश को जाने की आज्ञा दी।
  2. यह देश इस्राएल देश था और परमेश्वर ने प्रतिज्ञा की थी कि अब्राहम इस देश को हमेशा के लिए प्राप्त करेगा।
  3. उसने यह भी प्रतिज्ञा की कि अब्राहम को एक पुत्र होगा; और अब्राहम का वंश एक महान राज्य होगा और यह कि उसका पुत्र पृथ्वी की सब जातियों के लिए आशीष का कारण ठहरेगा।
  4. अब्राहम और उसकी पत्‍नी बहुत बूढ़े थे और तब उनको चमत्‍कारिक रीति से एक पुत्र इसहाक हुआ। यीशु मसीह भी अब्राहम का पुत्र या वंश है (उसका जन्म भी चमत्‍कारिक रीति से एक कुँवारी से हुआ)।
  5. यदि हम मसीह यीशु के हैं, तो हमारी गिनती भी अब्राहम की सन्तानों में है और हम भी अब्राहम से की गई प्रतिज्ञाओं के भागी हो सकते हैं।
  6. ये प्रतिज्ञाऐं तब पूरी होगी जब यीशु पुन: इस पृथ्‍वी पर लौटेगें और परमेश्वर के राज्य को स्थापित करेगें।

एक सलाह।

अब्राहम के वंश के विषय में बतायी गयी ये सब बातें पहली बार पढ़ने से समझ्‍ने में कुछ कठिनाई होती है। लेकिन यह विषय बहुत ही महत्वपूर्ण है। अच्‍छा होगा यदि आप इस पाठ को पुनः एक बार पढें।