20. Baptism
साप्ताहिक पाठ – निर्गमन, अध्याय 27-30; मत्ती, अध्याय 5-7
प्रश्नोत्तर के लिये पाठ – प्रेरितों के काम, अध्याय 8; रोमियों, अध्याय 6
एक नयी शुरूआत
क्या अपने कभी एक छोटे बच्चे को देखा है कि जब वह अपनी लिखने की पुस्तक में एक नया पन्ना खोलता है? नया पन्ना इतना साफ दिखता है कि लिखते समय वह विशेष ध्यान देता है कि कही वह पन्ना खराब न हो जाये और वह लिखने की एक नयी शुरूआत करता है।
जब हम इस बात को समझने लगते हैं कि यीशु ने हमारे लिये कितना अधिक किया, तो हमें अपने जीवन में हम एक नया पन्ना पलटकर खोलना चाहिए और एक नयी शुरूआत करनी चाहिये। हममें यीशु मसीह के पीछे चलने की इच्छा होनी चाहिये।
परमेश्वर का तरीका
मत्ती 28 में हम पढ़ते हैं कि स्वर्गारोहण से पहले यीशु ने अपने शिष्यों से कहा,
‘इसलिये तुम जाओ, सब जातियों के लोगों को चेला बनाओ; और उन्हें पिता, और पुत्र, और पवित्र आत्मा के नाम से बपतिस्मा दो, और उन्हें सब बातें जो मैं ने तुम्हें आज्ञा दी है, मानना सिखाओ।’ (मत्ती 28:19-20)
इस पदों को ध्यानपूर्वक पढ़िये। आप देखेंगे कि जब उन्होंने चेले बनाए तो उनको उन्हें बपतिस्मा देना था। बपतिस्मा परमेश्वर के द्वारा हमारे लिए चुना गया एक ऐसा तरीका है जिसके द्वारा हम एक नयी शुरूआत कर सकते है।
जब हम परमेश्वर की इस आज्ञा का पालन करते हैं तो परमेश्वर हमारे पिछले पापों को क्षमा कर देता है। स्वंय यीशु मसीह ने, जिन्होंने कभी पाप नही किया, बपतिस्मा लेकर हमारे लिए एक उदाहरण प्रस्तुत किया। मत्ती 3:13-17 में पढ़िये कि कैसे यीशु यरदन नदी के किनारे पर आये और कैसे उसके मोसेरे भाई यूहन्ना ने उन्हें वहां बपतिस्मा दिया।
क्या आपने ध्यान दिया जब यूहन्ना ने यीशु से कहा कि वह उसे बपतिस्मा देने के अयोग्य है। यीशु ने उससे कहा,
‘अब तो ऐसा ही होने दे, क्योंकि हमें इसी रीति से सब धामिर्कता को पूरा करना उचित है।’ (मत्ती 3:15)
यीशु ने यह नहीं कहा कि ‘मुझे’ उन्होंने कहा कि ‘हमें’ यह स्पष्ट करने के लिये कि हम सभी को भी बपतिस्मा लेना जरुरी है। यह उद्धार के लिये अति आवश्यक है।
पानी में गाड़े जाना
बपतिस्मा का अर्थ है पानी के नीचे (तले) पूरी तरह गाड़े जाना। यह ऐसा है मानो कि जब हम पानी के तले जाते है तो हम मर जाते हैं और जब हम फिर पानी से बाहर निकलते है तो हम एक नया जीवन शुरु करने के लिये जी उठते है। इस प्रकार से हम मसीह यीशु के साथ मर जाते हैं और फिर उसके साथ जी उठते है। रोमियों के जिस अध्याय को आपने पढ़ा है उसमें पौलुस यह बात बताता है:
‘क्या तुम नहीं जानते कि हम सब जिन्होंने मसीह यीशु का बपतिस्मा लिया, उसकी मृत्यु का बपतिस्मा लिया। अतः उस मृत्यु का बपतिस्मा पाने से हम उसके साथ गाड़े गए, ताकि जैसे मसीह पिता की महिमा के द्वारा मरे हुओं में से जिलाया गया, वैसे ही हम भी नए जीवन की सी चाल चलें।’ (रोमियों 6:3-4)
नामकरण और बपतिस्मा
शायद आपने शिशुओं के बपतिस्में या नामकरण के बारे में सुना होगा कि उनके माथे पर पानी छिड़का जाता हैं। परन्तु यह सचमुच में बपतिस्मा नहीं हैं। आपको याद हैं यीशु ने कहा जो विश्वास करे और बपतिस्मा ले उसी का उद्धार होगा (मरकुस 16:16)। पहिले हमें समझना और विश्वास करना चाहिये। एक शिशु यह नहीं कर सकता हैं।
पानी छिड़क कर बपतिस्मा देना, पानी में गाडे जाने और उसमें से फिर बाहर ऊपर आने के समान नहीं हैं। पानी के छिडकाव का बपतिस्मा हमें प्रभु यीशु की मृत्यु और पुनरुत्थान को उस तरह से याद नहीं दिलाता हैं जैसा कि डुबकी का बपतिस्मा।
एक मनुष्य जिसने विश्वास किया और इसे बपतिस्मा दिया गया
प्रेरितों के काम आठवें अध्याय में आप देखेंगे कि खोजे ने जो कूश देश की रानी का दास था कहा
‘देख यहाँ जल है, अब मुझे बपतिस्मा लेने में क्या रोक है।’ (प्रेरितों के काम 8:36)
एक शर्त थी। फिलिप्पुस ने उससे कहा,
‘यदि तू सारे मन से विश्वास करता है तो ले सकता है।’ (प्रेरितों के काम 8:37)
आप यह भी देखेंगे कि ‘दोनों जल में उतर पड़े’ (पद 38)। ऐसा करना आवश्यक था क्योंकि फिलिप्पुस खोजे को पानी के तले पूरी तरह गाड़कर (डुबाकर) बपतिस्मा देने जा रहा था और यह तभी सम्भव था जब उनके पास ऐसा करने के लिए पर्याप्त पानी हो।
एक बड़ा निर्णय
बपतिस्में के विषय में एक और महत्वपूर्ण पद है:
‘परन्तु जब उन्होंने फिलिप्पुस का विश्वास किया जो परमेश्वर के राज्य और यीशु के नाम का सुसमाचार सुनाता था तो लोग, क्या पुरूष, क्या स्त्री बपतिस्मा लेने लगे।’ (प्रेरितों के काम 8:12)
इस पद से हम सीखते हैं कि लोगों को, जब तक वे तैयार न हो, जल्दीबाजी में बपतिस्मा नहीं लेना चाहिये। सामरिया के पुरुषों और स्त्रियों को बपतिस्मा नहीं दिया गया जब तक उन्होंने परमेश्वर के राज्य और यीशु के सुसमाचार की बातों पर विश्वास नहीं किया।
बपतिस्मा लेने का निर्णय जीवन का सबसे महत्त्वपूर्ण निर्णय है। यह एक ऐसा निर्णय नहीं हैं जो हल्के तौर से किया जाए। बपतिस्मा लेने से पहले बाइबिल की सच्ची शिक्षाओं को समझना और उन पर विश्वास करना अति आवश्यक है।बपतिस्में के बाद परीक्षाओं से लड़ना आवश्यक है और हमेशा परमेश्वर की आज्ञाओं को मानने की कोशिश करना आवश्यक हैं।
बाइबिल की सच्ची शिक्षाओं पर विश्वास करना और उसके बाद परमेश्वर की आज्ञाओं का पालन करना, इन चीजो के बिना बपतिस्मा व्यर्थ हैं।
परमेश्वर की सन्तान
हम आदम की सन्तान के रूप में पैदा होते है। परन्तु जब हम बपतिस्मा ले लेते हैं तो हम परमेश्वर के परिवार का हिस्सा बन जाते है और हम परमेश्वर की सन्तान बन जाते है। हर एक पुरुष और स्त्री आदम की सन्तान है और बाइबिल उनके विषय में कहती है कि वे "आदम में" है।
जब हम बपतिस्मा ले लेते हैं तो हम मसीह को पहिन लेते हैं और मसीह में कहलाते हैं। पौलुस गलातियों 3 पद 26-27 में हमें बताता है,
‘क्योंकि तुम सब उस विश्वास के द्वारा जो मसीह यीशु पर है, परमेश्वर की सन्तान हो। और तुम में से जितनों ने मसीह में बपतिस्मा लिया है उन्होंने मसीह को पहिन लिया है।’ (गलातियों 3:26-27)
हमें जीवन की एक नई आशा है क्योंकि 1 कुरिन्थियों 15 में हम पढ़ते हैं,
‘और जैसे आदम में सब मरते हैं, वैसे ही मसीह में सब जिलाए जाएँगे।’ (1 कुरिन्थियों 15:22)
मसीह हमारा बिचवई (मध्यस्थ)
बपतिस्में के बाद हम एक नये जीवन का आरम्भ करते है। परन्तु पाप किये बिना हम नहीं रहते है। तो ऐसे में बपतिस्मा लेने के बाद यदि हम पाप करते है तो क्या होता है?
क्योंकि हम “मसीह में” हैं तो ऐसी परिस्थिति में यीशु मसीह हमारा बिचवई (मध्यस्थ) है और वे परमेश्वर से हमारे लिये प्रार्थना करते है। यदि हम अपने पापों के लिये सचमुच में पश्चाताप करते है तो निश्चिय ही परमेश्वर हमारे लिए यीशु मसीह की प्रार्थनाओं को सुनेगा और यीशु मसीह के कारण हमारे पापों को क्षमा कर देगा। प्रेरित यूहन्ना लिखता है,
‘यदि कोई पाप करे, तो पिता के पास हमारा एक सहायक है, अर्थात्धर्मी यीशु मसीह।’ (1 यूहन्ना 2:1)
सारांश
- परमेश्वर ने हमें बपतिस्मा लेने की आज्ञा दी है।
- बपतिस्मा पानी में पूरी तरह गाड़े (डुबाए) जाना है।
- बपतिस्मा विश्वास के बाद होना जरुरी है, इसलिए बपतिस्मा बालिगों के लिये है, शिशुओं के लिये नहीं।
- बपतिस्मा इस बात का संकेत है कि हम मसीह के साथ मरते हैं और पानी से बाहर ऊपर आकर एक नया जीवन प्राप्त करते हैं।
- जब हम बपतिस्मा ले लेते है तो हम परमेश्वर की सन्तान बन जाते हैं, और इसके बाद बाइबिल हमें “मसीह में” बताती है।