13. Resurrection
साप्ताहिक पाठ – उत्पत्ति, अध्याय 42-44; फिलिप्पियों, अध्याय 1-2
प्रश्नोत्तर के लिये पाठ – 1 कुरिन्थियों, अध्याय 15
पुर्नरुत्थान शब्द का अर्थ है फिर से जी उठना। संसार के इतिहास में वह सबसे अद्भुत घटना हुई जब यीशु मसीह तीन दिनों तक मृतक रहने के बाद कब्र से बाहर निकल आये।
जब उसके शिष्यों ने उसे देखा तो उन्हें अपनी आखों पर विश्वास नहीं हुआ। उन्होंने सोचा कि वह एक आत्मा है परन्तु यीशु ने उनसे कहा,
‘“मेरे हाथ और मेरे पाँव को देखो कि मैं वही हूँ। मुझे छूकर देखो, क्योंकि आत्मा के हड्डी माँस नहीं होता जैसा मुझ में देखते हो।” यह कहकर उसने उन्हें अपने हाथ पाँव दिखाए। जब आनन्द के मारे उनको प्रतीति न हुई, और वे आश्चर्य करते थे, तो उसने उनसे पूछा, “क्या यहाँ तुम्हारे पास कुछ भोजन है?” उन्होंने उसे भूनी हुई मछली का टुकड़ा दिया। उसने लेकर उनके सामने खाया।’ (लूका 24:39-43)
अन्त में उन्हें विश्वास हो गया कि वह सचमुच में फिर से जीवित हो गया था। परमेश्वर ने उन्हें अनन्त जीवन दे दिया। प्रकाशितवाक्य में यीशु कहते है कि ‘देख, मैं युगानुयुग जीवता हूँ।’ (प्रकाशितवाक्य 1:18)
यीशु उसके पीछे चलनेवालों को जी उठाएगा
यीशु ने अपने शिष्यों को सिखाया कि वे भी मृतकों में से जी उठा दिये जायेंगे। फिर से ऊपर बताए पद को पूरा पढ़िये।यीशु ने कहा,
‘मैं मर गया था, और अब देख मैं युगानुयुग जीवता हूँ; और मृत्यु और अधोलोक की कुंजियाँ मेरे ही पास हैं।’ (प्रकाशित्वाक्य 1:18)
अत: यदि आपके पास किसी दरवाजे की कुंजी (चाबी) है तो इसका मतलब है कि आप उस दरवाजे को खोल सकते है। यीशु के पास अधोलोक की कुंजियाँ है। दूसरे शब्दों में इसका मतलब है कि यीशु के पास वह सामर्थ है कि वे कब्रों को खोलकर जो उसमें गड़े (सोए) हैं उन्हें स्वतत्र कर सकते है।
यह सामर्थ उसे परमेश्वर द्वारा दी गई है। यूहन्ना रचित सुसमाचार 5:20-29 पदों को पढ़िये। विशेष रूप से 21 पद पर ध्यान दीजिये जो कहता है कि,
‘जैसा पिता मरे हुओं को उठाता और जिलाता है, वैसा ही पुत्र भी जिन्हें चाहता है उन्हें जिलाता है।’ (यूहन्ना 5:21)
जीवन देने के लिए परमेश्वर ने यीशु को मनुष्यों को फिर से जिलाने की सामर्थ दी है।
सब विश्वासियों की एक आशा
सब युगों में परमेश्वर के जन उस दिन की प्रतीक्षा करते हुए मर गए जब वे फिर से जिन्दा उठा लिए जायेगें। कुछ के बारे में इब्रानियों का लेखक बताता है कि,
‘विश्वास ही की दशा में मरे; और उन्होंने प्रतिज्ञा की हुई वस्तुएँ नही पाईं, पर उन्हें दूर से देखकर आनन्दित हुए।’ (इब्रानियों 11:13)
आगे फिर वह इन लोगों के विषय में बताते है कि इन्हें,
‘...प्रतिज्ञा की हुई वस्तु न मिली। क्योंकि परमेश्वर ने हमारे लिये पहले से एक उत्तम बात ठहराई, कि वे हमारे बिना सिद्धता को न पहुँचे।’ (इब्रानियों 11:39-40)
हम इस पद में देखते है कि अनन्त जीवन का दान परमेश्वर के सब सच्चे भक्तों को एक ही समय दिया जायेगा।
पहले विश्वासी लोग भी इस समय की प्रतीक्षा में थे। जब पहले विश्वासियों में से किसी की मृत्यु होती थी तो वे कहते थे कि वह सो गया है क्योंकि जिस तरह नींद के बाद मनुष्य जाग जाते हैं, उसी तरह शिष्य भी मृतकों में से जिन्दा कर दिये जायेंगे। 1 कुरिन्थियों के 15 अध्याय में, जिसे आप पढ़ चुके है; पौलुस ऐसे 500 विश्वासियों के विषय में बताते है जिन्होंने यीशु को उनके पुर्नरुत्थान के पश्चात देखा था उनमें से कुछ के बारे में कहते है कि, ‘कुछ सो गए’। (1 कुरिन्थियों 15:6)
पुर्नरुत्थान कब होगा?
इस बात को लगभग 2000 वर्ष बीत गये है जब प्रभु यीशु मसीह का पुर्नरूत्थान हुआ।
जो लोग विश्वास में मर गये है उनको यीशु कब जिलायेंगे?
प्रेरित पौलुस इस प्रश्न का उत्तर हमें देते है।1 कुरिन्थियों 15 अध्याय में वह कहता है कि,
‘जैसे आदम में सब मरते हैं, वैसे ही मसीह में सब जिलाए जाएँगे, परन्तु हर एक अपनी अपनी बारी से: पहला फल मसीह, फिर मसीह के आने पर उसके लोग।’ (1 कुरिन्थियों 15:22-23)
हम देख चुके हैं कि यीशु मसीह परमेश्वर का राज्य स्थापित करने और पूरी पृथ्वी पर राज्य करने के लिये वापिस आ रहे है। जब प्रभु यीशु यह राज्य स्थापित करेंगे तो वे मरे हुओं को उठायेंगे। तब वे जो विश्वासी हैं उन्हें अनन्त जीवन दिया जाएगा और यीशु के साथ पृथ्वी पर राज्य करने में सहायता करने के विशेष अधिकार का आनन्द उठाएंगे जैसे हम प्रकाशितवाक्य 5:9-10 में पढ़ते हैं। यहां हम उस दिन गाये जाने वाले एक गीत के शब्दों को पढ़ते हैं,
‘तूने वध होकर अपने लहू से हर एक कुल और भाषा और लोग और जाति में से परमेश्वर के लिये लोगों को मोल लिया है, और उन्हें हमारे परमेश्वर के लिये एक राज्य और याजक बनाया; और वे पृथ्वी पर राज्य करते हैं।’ (प्रकाशितवाक्य 5:9-10)
जब यीशु आयेंगे तो कुछ लोग जीवित रहेंगे
उनका क्या होगा जो यीशु के वापिस आने के समय में जीवित होगें? यीशु ने कहा कि जब वह आता है, तो वह
‘तुरही के बड़े शब्द के साथ, अपने दूतों को भेजेगा, और वे आकाश के इस छोर से उस छोर तक, चारों दिशाओं से उसके चुने हुओं को इकट्ठे करेंगे।’ (मत्ती 24:31)
1 थिस्सलुनीकियों 4 में पौलुस हमें इसके बारे में थोड़ा और बताता है। वह कहता है कि,
‘यदि हम विश्वास करते हैं कि यीशु मरा, और जी भी उठा, तो वैसे ही परमेश्वर उन्हें भी जो यीशु में सो गए हैं, उसी के साथ ले आएगा। क्योंकि हम प्रभु के वचन के अनुसार तुम से यह कहते हैं कि हम जो जीवित हैं और प्रभु के आने तक बचे रहेंगे, सोए हुओं से कभी आगे न बढ़ेंगे। क्योंकि प्रभु आप ही स्वर्ग से उतरेगा; उस समय ललकार, और प्रधान दूत का शब्द सुनाई देगा, और परमेश्वर की तुरही फूँकी जाएगी, और जो मसीह में मरे हैं, वे पहले जी उठेंगे। तब हम जो जीवित और बचे रहेंगे, उनके साथ बादलों पर उठा लिया जाएँगे कि हवा में प्रभु से मिलें; और इस रीति से हम सदा प्रभु के साथ रहेंगे।’ (1 थिस्सलुनीकियों 4:14-17)
मरे हुए जी उठा लिए जाएगे और जो जीवित बचे रहेंगे वे इकट्ठे किए जाएंगे और सब प्रभु यीशु के सामने उपस्थित होंगे। इसके पहले कि वह उन्हें अनन्त जीवन दे, न्याय का होना अनिवार्य है। परन्तु इस विषय में आप आने वाले सप्ताह के पाठ में और अधिक जानेंगे।
1 कुरिन्थियों 15:51-58 पदों को फिर पढ़िये। यहां प्रेरित पौलुस उस समय के बारे में कहता है जब विश्वासी मसीहियों को अनन्त जीवन का दान दिया जाएगा!
जब हम उस समय की प्रतिक्षा में है तो पौलुस प्रेरित हम से कहता है कि‘दृढ़ और अटल रहो, और प्रभु के काम में सर्वदा बढ़ते जाओ।’ (1 कुरिन्थियों 15:58)
याद रखने के लिये कुछ बातें
- परमेश्वर ने यीशु को मरे हुओं (मृतकों) को जी उठाने की सामर्थ दी है।
- यह वे तब करेंगे जब पृथ्वी पर फिर वापिस लौटेंगे।
- उसी समय वे उन सबको, जो मसीह में हैं और उनके आगमन पर जीवित बचे रहेंगे, इकट्ठा करेंगे।
- उन्हें जो विश्वासी बने रहे हैं वह अनन्त जीवन देगा। वे जीवित रहेंगे और उसके साथ राज्य करेंगे।