4. Thy kingdom come
साप्ताहिक पाठ – उत्पत्ति, अध्याय 12-14; लूका, अध्याय 11-14
प्रश्नोत्त के लिये पाठ – 1 इतिहास, अध्याय 29
‘तेरा राज्य आए। तेरी इच्छा जैसी स्वर्ग में पूरी होती है, वैसे पृथ्वी पर भी हो’
कितनी बार आपने इन शब्दों को कहा है या दूसरों को कहते सुना है? जो प्रार्थना यीशु ने अपने शिष्यों को सिखाई यह उसी प्रार्थना का हिस्सा है। आप इसे मत्ति की पुस्तक के अध्याय 6 और पदों 9-13 में पढ़ सकते है। इस प्रार्थना के शब्दों को हम भली भांति जानते हैं पर क्या हम उनके अर्थ को जानते हैं?
एक बार फिर से इन शब्दों पर ध्यान दीजिये। यह एक प्रार्थना है कि परमेश्वर का राज्य आए और जैसे कि उसकी इच्छा इस स्वर्ग में पूरी होती है वैसे ही पृथ्वी पर भी हो। अत: स्पष्ट है कि जिस राज्य के लिए हमें प्रार्थना करनी है वह राज्य यहां इस पृथ्वी पर स्थापित होना है। और जब परमेश्वर का राज्य आयेगा तो पुरुष और स्त्रियाँ उसकी इच्छा की पूरा करेंगे।
एक समय परमेश्वर का राज्य पृथ्वी पर था
क्या आप जानते थे कि हज़ारों वर्ष पूर्व यथार्थ में परमेश्वर का राज्य पृथ्वी पर था। पहला इतिहास के 29 वें अध्याय और उसके पहिले पद और तब 10 से 13 पद को पढ़िये। ग्यारवें पद पर विशेष ध्यान दीजिए जो इस प्रकार है:
‘हे यहोवा! राज्य तेरा है, और तू सभों के ऊपर मुख्य और महान्ठहरा है।’ (1 इतिहास 29:11)
जिस राज्य का वर्णन किया गया है, वह इस्राएल का राज्य है जो इस्राएल देश में है। अब 23 वें पद को पढ़िये।
‘तब सुलैमान अपने पिता दाऊद के स्थान पर राजा होकार यहोवा के सिंहासन पर विराजने लगा’ (1 इतिहास 29:23)
जिस सिंहासन पर दाऊद बैठा और उसके बाद उसका पुत्र सुलैमान बैठा, वह यरूशलेम में था, जो इस्राएल का एक मुख्य शहर था। और वह राज्य जिस पर उसने शासन किया इस्राएल का राज्य था।
इस्राएल का राज्य क्यों परमेश्वर का राज्य कहलाता था और उसका सिंहासन क्यों ‘यहोवा का सिंहासन’ कहलाता था? यह इसलिये क्योंकि ईश्वर ने स्वयं इस्राएलियों को यह राज्य दिया था; उसने यरूशलेम को राजधानी के लिये चुन लिया था (राजाओं का वृत्तान्त पहिला भाग, अध्याय 11, पद 13); परमेश्वर ने वह व्यवस्था दी जिसके द्वारा राज्य को चलाया जाना था। (यह आप बाइबिल की पुस्तकों लैव्यव्यवस्था, गिनती और व्यवस्थाविवरण में देख सकते हो); और जिस राजा ने शासन किया उसने परमेश्वर के लिए राज्य किया।
यहोवा के राज्य को उलट दिया जाना
सैकड़ों वर्ष व्यतीत हो गये। एक राजा के बाद दूसरे राजा ने यरूशलेम में इस्राएल पर राज्य किया। कुछ अच्छे राजा थे जिन्होने ईश्वर का भय मानते हुये राज्य किया और कुछ दुष्ट राजा थे।
अन्त में एक ऐसा दिन आ गया जब कि इस्राएल राज्य ईश्वर के बताऐ हुए मार्गों से इतना दूर चला गया और जो राजा यरूशलेम में राज्य करता था वह इतना दुष्ट (अधर्मी) हो गया कि परमेश्वर ने कहा कि इस्राएल के राज्य को और अधिक नहीं रहना चाहिये।
यहेजकेल पुस्तक के 21 वें अध्याय और उसके 25 से 27 पद तक पढ़िये। विशेष कर 27 वें पद को ध्यान से पढ़िये जिसमें लिखा है,
‘मैं उसको उलट दूँगा और उलट पुलट कर दूँगा; हाँ उलट दूँगा और जब तक उसका अधिकारी न आए तब तक वह उलटा हुआ रहेगा; तब मैं उसे दे दूँगा।’ (यहेजकेल 21:27)
वह जिसका इस पर अधिकार है
यहेजकेल की पुस्तक के ऊपर लिखे पदों में हम पढ़ते हैं कि एक राजा आने वाला था जिसे परमेश्वर के राज्य के सिंहासन का अधिकार होना था - एक जो कि उत्तराधिकारी था - और परमेश्वर उसे वह देने जा रहा था।
उस दिन से जब कि अन्तिम राजा सिंहासन से हटा दिया गया तब से लेकर आज तक यरूशलेम में कोई इस्राएली राजा नहीं हुआ है।
अपनी बाइबिल में लूका के पहिले अध्याय और उसके 31 से 33 पदों के शब्दों को पढिये, ये शब्द यीशु की माता मरियम को एक स्वर्गदूत के द्वारा कहे गये थे। यीशु के बारे में बोलते हुए स्वर्गदूत कहता है,
‘वह महान होगा और परमप्रधान का पुत्र कहलाएगा; और प्रभु परमेश्वर उसके पिता दाऊद का सिंहासन उसको देगा।’ (लूका 1:32)
यीशु ने राजा होने का दावा किया। उसके मुकदमे के समय जब पिलातुस ने उससे पूछा, ‘तो क्या तू राजा है?’ यीशु ने उत्तर दिया, ‘तू कहता है मैं राजा हूँ।’ (यूहन्ना 18:37) यह यहूदियों के कहने का तरीका है कि ‘हां, मैं राजा हूँ।’
जिस क्रूस पर उसे चढाया गया था उस पर लिखा था ‘यह यहूदियों का राजा यीशु है’ (मत्ती अध्याय 27, पद 37)। उसके शत्रु उसका ठट्ठा उड़ाना चाहते थे परन्तु जो उन्होंने कहा वह सच था।
जिस सुसमाचार का यीशु ने प्रचार किया वह परमेश्वर के राज्य का शुभ सन्देश था। (सुसमाचार का अर्थ है शुभ संदेश) लूका के आठवें अध्याय और उसके पहिले पद में हम पढ़ते हैं कि,
‘वह नगर-नगर और गाँव-गाँव प्रचार करता हुआ, और परमेश्वर के राज्य का सुसमाचार सुनाता हुआ फिरने लगा।’ (लूका 8:1)
अब आप जानते हैं क्यों यीशु वापिस आ रहा है। वह परमेश्वर के राज्य को फिर से स्थापित करने के लिए आ रहा है।
परमेश्वर का राज्य और हम
शायद आप सोचते होंगे कि तो फिर “हम तब यह प्रार्थना क्यों करें कि तेरा राज्य आये?” यदि यह एक इस्राएली राज्य है, तो हम को इससे क्या करना है?
जैसे जैसे आप इस अध्ययन को करेंगे तो आप सीखेंगे कि यीशु जिस राज्य पर प्रभुता करेगा वास्तव में उसका विस्तार परमेश्वर के पहिले राज्य से कहीं अधिक होगा, यह पूरी पृथ्वी पर होगा और वह राज्य सब लोगों को शान्ति देगा।
इसलिए हम प्रार्थना करते है ‘तेरा राज्य आए’ और हम यह भी प्रार्थना करते हैं कि जब यीशु वापिस आता हैं, तो वह हमसे कहे
‘हे मेरे पिता के धन्य लोगो, आओ, उस राज्य के अधिकारी हो जाओ, जो जगत के आदि से तुम्हारे लिए तैयार किया गया है।’ (मत्ती, अध्याय 25, पद 34)
देखिए किस तरह से बाइबिल का हर भाग दूसरे भागों को समझाने में सहायता करता है!
अब हम सीख चुके है
- कि परमेश्वर का राज्य एक समय में इस्राएल देश में था।
- परमेश्वर ने उस राज्य का अन्त किया परन्तु उसके सही उत्तराधिकारी को देने की प्रतिज्ञा की।
- वह अधिकारी यीशु है और वह यरूशलेम में दाऊद के सिंहासन पर विराजमान होगा जहाँ से वह इस्राएलियों पर सदैव के लिए राज्य करेगा।
- सब विश्वासी जन इस राज्य की आशीषों के सहाभागी होंगे।