12. जीवन और मृत्यु के विषय में बाइबिल की शिक्षा - दूसरा भाग

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12. Bible teaching about life and death – Part 2

साप्ताहिक पाठ – उत्पत्ति, अध्याय 39-41; योना, अध्याय 1-4

प्रश्‍नोत्‍तर के लिये पाठ – सभोपदेशक, अध्याय 3

स्वयं से प्रेम

जो गहरा प्रेम योनातन अपने मित्र दाऊद से करता था, उसके विषय में बाइबिल कहती है कि, ‘योनातन का मन दाऊद पर ऐसा लगा गया, कि योनातन उसे अपने प्राण के समान प्यार करने लगा।’ (1 शमूएल 18:1)

हम सब अपने प्राण को अर्थात स्वंय को प्यार करते है। इफिसियों के 5 अध्‍याय में पौलुस कहता है कि,

‘किसी ने कभी अपने शरीर से बैर नहीं रखा वरन्‍उसका पालन-पोषण करता है, जैसा मसीह भी कलीसिया के साथ करता है।’ (इफिसियों 5:29)

यदि हम अपनी देख भाल न करें, भोजन और जल द्वारा अपने शरीर का पालन पोषण न करें, हमारी शीघ्र मृत्यु हो जाएगी।

सर्प का झूठ

हममें से अधिकारंश अपने आपको बहुत ज्यादा प्यार करते हैं, अपने बारे में बहुत सोचते हैं। शायद इसलिए मनुष्य को यह विश्वास करने में हमेशा कठिनाई हुई की पशुओं के समान उन्हें भी मरना है और उसकी देह को सड़ना है। इसलिए वे इस विचार को प्राथमिकता देते है कि वे मृत्‍यु के बाद भी कही पर जीवित रहेंगे।

सर्प ने आदम और हव्वा से कहा, ‘तुम निश्चय न मरोगे!’ (उत्पत्ति 3:4) यह झूठ था तो भी हव्‍वा ने इस बात पर विश्‍वास किया न कि परमेश्‍वर की बात पर विश्‍वास किया।

मनुष्यों ने हमेशा सांप के झूठ पर विश्वास करना चाहा है। परमेश्वर के वचनो पर विश्वास करने के अलावा वे नाना प्रकार की कहानियाँ बनाते हैं कि मृत्यु के बाद क्या होता है। जबकि परमेश्‍वर ने कह कि,

‘तू मिट्टी तो है और मिट्टी ही में फिर मिल जाएगा।’ (उत्पत्ति 3:19)

वे पशुओं के समान हैं, जो मर मिटते हैं

इस विषय में बाइबिल की शिक्षा स्पष्ट हैं। सभोपदेशक 3:19 को पढ़िए:

‘क्योंकि जैसी मनुष्यों की वैसी ही पशुओं की भी दशा होती है; दोनों की वही दशा होती है, जैसे एक मरता वैसे ही दूसरा भी मरता है। सभों की स्वांस एक सी है, और मनुष्य पशु से कुछ बढ़कर नहीं।’ (सभोपदेशक 3:19)

जब आप एक मरे हुए जानवर के शरीर को देखते हैं, आप यह नहीं सोचते हैं कि उस जानवर का कोई महत्‍वपूर्ण भाग स्वर्ग में रहने चला गया है। आप यह जानते हैं कि वह जीव जो जीवित था, सांस लेता था और घूमता फिरता था – जो कितना ही सुन्दर न रहा हो – उस जीव का बस एक मृतक शरीर रह गया है।

मनुष्यों का भी ठीक यही हाल होता है। जब वे मरते हैं बस एक निर्जीव शरीर रह जाता है। क्या आपने भजन संहिता 49 के 12 वें पद पर ध्यान दिया? जहाँ लिखा है,

‘मनुष्य प्रतिष्‍ठा पाकर भी स्थिर नहीं रहता, वह पशुओं के समान होता है, जो मर मिटते हैं।’ (भजन संहिता 49:12)

पशुओं के समान? हां, लेखक हमें इस विषय में किसी शक में नहीं रख छोड़ता है। 14 पद में वह कहता है ‘वे अधोलोक की मानो भेड़-बकरियाँ ठहराए गए हैं।’ (भजन संहिता 49:14)

एक गलत विचार

कई लोगों का विश्वास है कि मरने पर हमारे जीवन का कोई हिस्‍सा जीवित रहता है। वे मानते है कि मनुष्‍य की आत्‍मा अमर है जो सदैव के लिए स्वर्ग में जीवित रहेगी। परन्तु आत्‍मा अमर नहीं है। यहेजकेल भविष्यद्वक्ता के द्वारा परमेश्वर कहता है,

‘देखो, सभों के प्राण तो मेरे हैं; जैसा पिता का प्राण, वैसा ही पुत्र का भी प्राण है; दोनों मेरे ही हैं। इसलिये जो प्राणी पाप करे वही मर जाएगा।’ (यहेजकेल 18:4)

हमने देखा कि बाइबिल में मृत्यु का क्या अर्थ है। मृत्‍यु का अर्थ है जीवन का पूर्ण अन्त है, इसलिए शरीर और मस्तिष्क दोनो नाश हो जाते हैं – सड़ जाते है और मिट्टी में मिल जाते है।

नरक या अधोलोक– यह कहाँ है?

बाइबिल हमें बताती है कि,

‘स्वर्ग तो यहोवा का है, परन्तु पृथ्वी उसने मनुष्यों को दी है।’ (भजन संहिता 115:16)

हम जानते हैं कि स्वर्ग परमेश्वर का निवास स्थान है। और हम जानते हैं कि यहोवा परमेश्वर ने पृथ्वी को मनुष्यों के रहने के लिये बनाया। परन्तु नरक क्या है? यह कहाँ है और वहाँ कौन रहता है?

हमने देखा कि जब मनुष्य मर जाता है तो वह वापस मिट्टी में मिल जाता है। वह फिर न कुछ सोच सकता है और ना ही कुछ महसूस कर सकता है। वह उस कीड़े से कुछ अधिक नही रहता जिसे आप अपनी ऊगंलीयों के बीच मसल देते है।

कुछ लोगों का मानना है कि जब दृष्ट अर्थात पापी लोग मरते हैं तो उनको दण्ड के लिये एक स्थान पर भेज दिया जाता है जिसे नरक कहते है।लेकिन आईये हम देखें कि बाइबिल इसके विषय में क्‍या कहती है।

पुराने नियम में अधोलोक या नरक

बाइबिल का पुराना नियम सबसे पहले इब्रानी भाषा में लिखा गया, और उसके बाद हिन्‍दी या अन्‍य दूसरी भाषाओं में उसका अनुवाद किया गया। इब्रानी भाषा के शब्‍द "शियोल" का अर्थ है "एक ढका हुआ स्‍थान" और यह वही शब्‍द है जिसका अनुवाद बाइबिल में 59 बार "अधोलोक" किया गया है। ढका हुआ स्‍थान कब्र के लिए प्रयोग किया गया हैं, और विशेष ध्‍यान देने योग्‍य बात यह है कि अनुवादकों ने बाइबिल में 3 बार ही "शियोल" शब्‍द का अनुवाद "पाताल" भी किया है। पाला और अधोलोक एक ही स्‍थान है।

नये नियम में अधोलोक या नरक

जैसे पुराना नियम सबसे पहले इब्रानी भाषा में लिखा गया था उसी तरह नया नियम सबसे पहले यूनानी भाषा में लिखा गया था। नरक या अधोलोक के लिए यूनानी भाषा का एक शब्‍द “हैदेस” है इसका अर्थ ठीक वही है जो इब्रानी भाषा के शब्‍द "शियोल" का है। हम यीशु के बारे में पढ़ते हैं कि ‘तू मेरे प्राणों को अधोलोक में न छोड़ेगा’ (प्रेरितों के काम 2:27)।

यदि हम देखें तो यीशु अधोलोक (नरक) को गया और दूसरे शब्दों में यदि हम कहे तो वह कब्र में गया परन्तु वह वहां छोड नहीं दिया गया और उसको मृतकों में से जिला लिया गया।

नरक की आग क्या है?

मरकुस में हम पढ़ते है,

‘यदि तेरा हाथ तुझे ठोकर खिलाए तो उसे काट डाल। टुण्‍डा होकर जीवन में प्रवेश करना तेरे लिये इससे भला है कि दो हाथ रहते हुए नरक की आग में डाला जाए जो कभी बुझने की नहीं।’ (मरकुस 9:43)

बाइबिल के नए नियम में नरक या अधोलोक के लिए एक और नये यूनानी शब्द को हम पढ़ते है जो इस पद में भी प्रयोग हुआ है और वह शब्‍द है “गेहेन्ना”।

गेहेन्ना यरूशलेम के बाहर एक घाटी का नाम है – हिन्नोम की तराई। इस घाटी को यहूदी लोग जो यीशु को सुनते थे अच्छी तरह जानते थे। यह वह स्‍थान था जहाँ शहर का कूड़ा कचरा जलाया जाता था।घेरेबन्‍दी या युद्ध के समय में यहाँ लाशों को जलने के लिए गेहेन्‍ना में फेंक दिया जाता था। यह विनाश की एक जगह थी, और इसलिये गेहेन्‍ना में फेकें जाने का अर्थ पूर्ण रुप से नाश करना था। यीशु लोगों को अपने जीवनों से उन बातों को छोड़ने की चेतावनी दे रहे थे, जो उन्हें परमेश्वर से अलग कर सकती थी ताकि वे अन्नतकाल की मृत्यु अर्थात पूर्ण विनाश से बच सकें।

आशा की एक किरण (झलक)

शायद आपको बाइबिल को बन्द करने और इस लेख पत्र को फेंक देने की भावना होती हो। परन्तु जरा ठहरिये। बाइबिल परमेश्वर का वचन है, और जो वह कहती है सच है। हम बहुत ही मूर्ख होंगे यदि हम सत्य में विश्वास करना अस्वीकार करें और वो भी केवल इसलिए कि वह हमें बहुत प्रिय नहीं लगता है।

वही बाईबिल जो बताती है कि मृत्यु वास्तविक है वही हमें यह भी बताती है कि अधोलोक से परे एक आशा है – पुर्नरुत्थान की आशा। प्रभु यीशु मसीह शारीरिक पुर्नरुत्थान के द्वारा पुनः जीवित कर दिये गये और वह दिन आएगा जब वे जो प्रभु यीशु में विश्‍वास करते है और उनके पद चिन्‍हों पर चलते है वे भी कब्र से निकाले जायेंगे ठीक वैसे ही जैसे यीशु मसीह को निकाला गया।

परन्तु यह एक दूसरे पाठ का विषय हैं!

सारांश

  1. बाइबिल बताती है कि मनुष्य मरने पर नाश हो जाते है अर्थात शरीर नाशमान है। और उनकी देह भी पशुओं के समान सड़ जाती हैं।
  2. बाइबिल हमें स्वर्ग में जानें की कोई आशा नही देती है।
  3. जब यीशु इस पृथ्वी पर वापस लौटेंगे, तो जो उस पर विश्वास रखते हैं उन्हें वह जी उठायेंगे।