10. परमेश्‍वर द्वारा दाऊद से की गयी प्रतिज्ञायें

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10. God’s promises to David

साप्ताहिक पाठ – उत्पत्ति, अध्याय 33-35; याकूब, अध्याय 1-3

प्रश्‍नोत्‍तर के लिये पाठ – 2 शमुएल, अध्याय 7

दाऊद दूसरा राजा था जिसने यहूदियों पर राज्य किया। कई परीक्षाओं और साहसिक कार्यों के बाद दाऊद ने यरूशलेम में एक राजभवन बनाया और उस राजभवन में रहकर उसने राज्य किया।

जब दाऊद ने सोचा कि किस रीति से परमेश्वर ने उसे आशीषित किया है तब उसने यहोवा परमेश्वर के वाचा के सन्दूक के बारे में सोचा जो एक तम्बू में रखा था, उसने यरूशलेम में एक भव्य मन्दिर बनाना चाहा जिसमें परमेश्वर का वाचा का सन्दूक रखा जा सके। (यह सन्‍दूक एक विशेष तिजोरी थी जिसमें दस आज्ञाऐं रखी गयी थी और इसका एक ढकना था जिसे प्रायश्चित्‍त का ढकना कहते थेऔर इसके ऊपर परमेश्वर का तेज चमकता था।)

दाऊद ने परमेश्वर के भविष्यद्वक्ता नातान से मन्दिर बनवाने की अपनी इच्छा प्रगट की। नातान ने दाऊद से कहा जो कुछ तेरे मन में हो उसे कर। परन्तु उसी दिन रात को यहोवा ने नातान को दाऊद के लिये एक विशेष सन्देश दिया।

दाऊद को यहोवा का सन्देश

2 शमूएल के अध्याय 7 में और उसके 12-16 पदों में वह महत्व पूर्ण भाग है जिसमें दाऊद को दिये गये यहोवा के सन्देश का उल्लेख है।

परमेश्वर दाऊद को एक पुत्र देने की प्रतिज्ञा करता है।

वह इस प्रतिज्ञा के पुत्र के बारे में कहता है, ‘मेरे नाम का घर वही बनवाएगा, और मैं उसकी राजगद्दी को सदैव स्थिर रखूँगा।’ (2 शमूएल 7:13)

यह दाऊद की मृत्यु के बाद होना था जैसा कि बारहवें पद में लिखा है

‘जब तेरी आयु पूरी हो जाएगी, और तू अपने पुरखाओं के संग सो जाएगा।’ (2 शमूएल 7:12)

दाऊद के पुत्र के विषय में अधिक जानकारी

दाऊद का एक पुत्र था जिसका नाम सुलैमान था। उसने दाऊद के बाद यरूशलेम में राज्य किया। परन्तु जब दाऊद जीवित था उसी समय सुलैमान को राजा बना दिया गया था। लेकिन हम बाइबिल में पढ़ते है कि उसका राज्‍य सदा सर्वदा के लिए नही था।

प्रतिज्ञा किया गये इस पुत्र को वास्‍तव में बहुत ही विशेष होना था, क्‍योंकि परमेश्‍वर ने उसके विषय में ऐसा कहा कि,‘मैं उसका पिता ठहरूँगा, और वह मेरा पुत्र ठहरेगा।’ (2 शमूएल 7:14)

लूका के पहले अध्याय को पढ़िये। यहां हम पढ़ते हैं कि एक स्वर्गदूत एक युवती के पास आता है – यह युवती दाऊद के वंश की थी – और स्‍वर्गदूत उससे कहता है कि उसको एक पुत्र उत्‍पन्‍न होगा।

इस बालक का जन्म एक संसारिक पिता से नहीं होना था जैसा कि सब बच्चों का होता है परन्तु उसका जन्म परमेश्वर की सामर्थ्‍य के द्वारा होना था क्योंकि मरियम नामक उस युवती से स्वर्गदूत ने कहा,

‘पवित्र आत्मा तुझ पर उतरेगा, और परमप्रधान की सामर्थ्य तुझ पर छाया करेगी इसलिये वह पवित्र जो उत्‍पन्न होने वाला है, परमेश्वर का पुत्र कहलाएगा।’ (लूका 1:35)

स्वर्गदूत ने मरियम से यह भी कहा,

‘वह महान होगा और परमप्रधान का पुत्र कहलाएगा; और प्रभु परमेश्वर उसके पिता दाऊद का सिंहासन उसको देगा, और वह याकूब के घराने पर सदा राज्य करेगा; और उसके राज्य का अन्‍त न होगा।’ (लूका 1:32-33)

अब हम देख सकते है कि किस तरह वह प्रतिज्ञा जो यहोवा परमेश्वर ने दाऊद से की उस समय पूरी हुई जब यीशु मसीह का जन्म हुआ।

  1. यहोवा परमेश्वर उसका पिता था।
  2. उसे सदा सर्वदा के लिए राज्य करना था।

यहूदियों का राजा

यीशु का जन्म एक राजा बनने के लिये हुआ। जब ज्‍योतिष उसकी उपासना करने और उसे प्रणाम करने यरूशलेम आए, उन्होंने पूछा ‘यहूदियों का राजा जिसका जन्म हुआ है, कहाँ है?’ (मत्ती 2:2)

जब यीशु पकड़वा गया और पिलातुस के सामने न्‍याय के लिए उसका मुकदमा चल रहा था तो पिलातुस ने उससे कहा ‘क्या तू यहूदियों का राजा है?’

यीशु ने उत्तर दिया, ‘तू आप ही कह रहा है।’ (मरकुस 15:2) यहूदी कहने के अनुसार इसका मतलब है “हां, मैं अवश्य हूँ।” (मत्ती 27:11)

जैसा कि हम देख चुके हैं, कि यीशु यहुदियों का राजा होने और दाऊद के सिंहासन पर बैठकर राज्य करने के लिए पृथ्वी पर वापस आयेंगे।

सम्‍पूर्ण विश्‍व में एक राज्य

जब यीशु पुन: इस पृथ्‍वी पर आयेंगे तो वे केवल यहूदियों के ही राजा नही होगें बल्कि समस्‍त पृथ्वी पर राज्य करेंगे। परमेश्वर उनके विषय में कहता है,

‘यह तो हल्‍की सी बात है कि तू याकूब के गोत्रों का उद्धार करने और इस्राएल के रक्षित लोगों को लौटा ले आने के लिये मेरा सेवक ठहरे; मैं तुझे जाति-जाति के लिये ज्योति ठहराऊँगा कि मेरा उद्धार पृथ्वी की एक ओर से दूसरी ओर तक फैल जाए।’ (याशायाह 49:6)

दाऊद के विषय में क्या?

यद्यपि दाऊद जानता था कि यह प्रतिज्ञा बहुत लन्बे समय तक पूरी नही होनी थी, तो भी उसका हृदय परमेश्वर के प्रति धन्यवाद से भरा था। हम उसकी धन्यवादी प्रार्थना को 2 शमूएल 7:18-29 में पढ़ सकते हैं। परमेश्वर ने कहा था,

‘तेरा घारना और तेरा राज्य मेरे सामने सदा अटल बना रहेगा।’ (2 शमूएल 7:16)

इसलिये दाऊद जानता था कि जब उसका महान पुत्र (प्रभु यीशु) यरूशलेम में राज्य करेगा, तो वह (दाऊद) भी मृतकों में से जिलाया जायेगा ताकि वह भी उसके राज्य के आनन्दों का सहभागी हो सके।

दाऊद प्राय: इस गम्भीर प्रतिज्ञा के विषय में सोचता था जो परमेश्वर ने उससे बांधी थी। और वह इसके विषय में भजन संहिता (उदाहरण के लिये भजन संहिता 89:2-4) में हम पढ़ते है,

‘क्योंकि मैंने कहा है, “तेरी करूणा सदा बनी रहेगी, तू स्वर्ग में अपनी सच्चाई को स्थिर रखेगा।” मैं ने कहा, “मैंने अपने चुने हुए से वाचा बाँधी है, मैंने अपने दास दाऊद से शपथ खाई है, ‘मैं तेरे वंश को सदा स्थिर रखूँगा; और तेरी राजगद्दी को पीढ़ी से पीढ़ी तक बनाए रखूँगा’।”’ (भजन संहिता 89:2-4)

दाऊद इन्हीं बातों के बारे में भजन संहिता 16 में भी कहता है।

‘तू मेरे प्राण को अधोलोक (कब्र) में न छोड़ेगा, न अपने पवित्र भक्त को सड़ने देगा।’ (भजन संहिता 16:10)

यीशु परमेश्वर का पवित्र जन था और उसने पाप नही किया। उसकी देह सड़ने नही पायी क्योंकि परमेश्वर ने उसे तीन दिन बाद मृतकों में से जी उठाया।

किसी बात की प्रति‍क्षा

इब्रानियों का लेखक कहता है,

‘विश्वास ही के द्वारा इन सब के विषय में अच्‍छी गवाही दी गई, तौभी उन्‍हें प्रतिज्ञा की हुई वस्‍तु न मिली। क्‍योंकि परमेश्वर ने हमारे लिये पहले से एक उत्तम बात ठहराई, कि वे हमारे बिना सिद्धता को न पहुँचे।’ (इब्रानियों 11:39-40)

अब्राहम और दाऊद और बहुत से विश्वासी यह जानते हुए मर गए कि यीशु मसीह के पुनः आगमन पर वे, उन लोगों के साथ जो यीशु मसीह पर विश्‍वास करते है, अनन्‍त जीवन पाने के लिए फिर जी उठा दिये जाऐंगे।

एक पद जो कुंजी है

हमने देखा कि यीशु मसीह अब्राहम और दाऊद दोनों की सन्तान है।

नये नियम का सबसे पहला पद इस तरह आरम्भ होता है, ‘अब्राहम की सन्तान, दाऊद की सन्तान, यीशु मसीह की वंशावली’ (मत्ती 1:1)।

इसलिए हम नए नियम को केवल तभी समझ सकते हैं यदि हमने पुराने नियम को पढ़ और समझ लिया है।

सारांश

  1. यहोवा परमेश्वर ने दाऊद से एक पुत्र की प्रतिज्ञा की।
  2. इस पुत्र को परमेश्वर का पुत्र होना था।
  3. इस पुत्र को दाऊद के सिंहासन पर सदा सर्वदा के लिए राज्‍य करना था।
  4. यह पुत्र यीशु था।
  5. जब वह राज्य करने को आएगा, तो परमेश्वर के सब विश्वासी सेवकों को अनन्त जीवन दिया जायेगा और वे पृथ्वी पर उसके राज्य की प्रभुता करने में सहभागी होंगे।