16. परमेश्वर का पवित्र आत्मा

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16. God’s Holy Spirit

साप्ताहिक पाठ – निर्गमन, अध्याय 1-6; 1 पतरस, अध्याय 4-5

प्रश्‍नोत्‍तर के लिये पाठ – भजन संहिता 51

सामर्थ्य, जिसको मापा नही जा सकता है

‘आदि में परमेश्वर ने आकाश और पृथ्वी की सृष्टि की।’ (उत्पत्ति 1:1)

एक घर बनाने के लिये किये जाने वाले कामों पर विचार किजिए। नक्शा बनाना, विभिन्‍न क्षेत्रों में निपुण अच्छे कारिगरों की आवश्यकता, जो एक साथ काम करते है। कितना सोच विचार और परिश्रम लगता है!

तो फिर जरा सोचिये कि आकाश और पृथ्वी को बनाने में कितनी सोच और परिश्रम लगाना पड़ा होगा? इस महान कार्य के लिये सामर्थ कहां से आई? भजन संहिता में हमें बताया गया है,

‘आकाशमण्डल यहोवा के वचन से, और उसके सारे गण उसके मुँह की श्वांस से बने ... क्योंकि जब उसने कहा, तब हो गया; जब उसने आज्ञा दी, तब वास्तव में वैसा ही हो गया।’ (भजन संहिता 33:6,9)

परमेश्वर की आत्मा

परमेश्वर की सामर्थ्य जो उसके उद्देश्‍यों को पूरा करने के लिए कार्य करती है उसको बाइबिल में परमेश्‍वर की "आत्‍मा" कहा गया है। इसलिए हम उत्‍पत्ति 1:2 में पढ़ते है:

‘परमेश्वर का आत्मा जल के ऊपर मण्डराता था।’ (उत्पत्ति 1:2)

और अय्यूब में पढ़ते हैं,

‘उसकी श्वास से आकाशमण्डल स्वच्छ हो जाता है।’ (अय्यूब 26:13)

जिन व्यक्तियों ने बाइबिल लिखी उनके मनों, विचारों को प्रेरित करनें के लिए भी परमेश्वर की सामर्थ्य का प्रयोग किया गया। उन्होंने अपने विचारों को नहीं लिखा परन्तु परमेश्वर ने अपने वचनों को लिखने में उनको प्रयोग किया।इसलिए हम 2 पतरस में पढ़ते हैं,

‘कोई भी भविष्यद्वाणी मनुष्य की इच्‍छा से कभी नहीं हुई, पर भक्त जन पवित्र आत्मा के द्वारा उभारे जाकर परमेश्वर की ओर से बोलते थे।’ (2 पतरस 1:21)

(साधारणतया: जब हम भविष्यद्वाणी के बारे विचार करते है तो हम सोचते है कि यह भविष्‍य बताने के विषय में है। लेकिन बाइबिल में "भविष्यद्वाणी" शब्द का अर्थ है परमेश्वर के वचनों को बोलना चाहे वे भूतकाल के विषय में हो, वर्तमान या भविष्य के बारे में हों।)

आपने यदि पतरस के शब्दों पर ध्‍यान दिया हो तो परमेश्वर की आत्मा को "पवित्र आत्मा" कहा गया है। पवित्र शब्द का अर्थ है कि किसा विशेष उद्देश्‍य के लिए अलग किया हुआ।

पवित्र आत्मा और प्रभु यीशु मसीह

पवित्र आत्मा द्वारा प्रभु यीशु का जन्म हुआ। मरियम से स्वर्गदूत नें कहा

‘पवित्र आत्मा तुझ पर उतरेगा, और परमप्रधान की सामर्थ्य तुझ पर छाया करेगी इसलिये वह पवित्र जो उत्‍पन्न होनेवाला है, परमेश्वर का पुत्र कहलाएगा।’ (लूका 1:35)

आप यहां देखेंगे कि “पवित्र आत्मा” और “परमप्रधान की सामर्थ्य” दोनों एक ही चीज हैं।

यरदन नदी में बपतिस्मे के समय, यीशु को बिना माप के पवित्र आत्मा दिया गया। हम यूहन्ना में पढ़ते है,

‘जिसे परमेश्वर ने भेजा है, वह परमेश्वर की बातें कहता है: क्‍योंकि वह आत्मा नाप नापकर नहीं देता।’ (यूहन्ना 3:34)

पूरी सामर्थ्य यीशु को दी गयी थी। पुराने और नए नियम के समय के मनुष्यों को परमेश्वर ने अपनी सामर्थ्य का एक अंश दिया परन्तु कोई भी दूसरा मनुष्य कभी भी उस सामर्थ्य को प्राप्त करने के योग्य नहीं रहा जिस प्रकार परमेश्वर ने यीशु को दी।

शिष्यों को पवित्र आत्मा देने की प्रतिज्ञा की गई

यीशु ने अपने बारह शिष्यों से प्रतिज्ञां की कि जब वह उन्हें छोडकर चला जाएगा उन्हें भी पवित्र आत्मा दिया जाएगा। यूहन्‍ना में यीशु कहते है:

‘ये बातें मैं ने तुम्हारे साथ रहते हुए तुम से कहीं। परन्‍तु सहायक अर्थात्‍पवित्र आत्मा जिसे पिता मेरे नाम से भेजेगा, वह तुम्हें सब बातें सिखाएगा, और जो कुछ मैं ने तुम से कहा है, वह सब तुम्हें स्मरण कराएगा।’ (यूहन्ना 14:25-26)

यहां यीशु पवित्र आत्मा के विषय में इस प्रकार बताते है कि जैसे वह कोई व्‍यक्ति है; और कुछ व्यक्ति सचमुच में सोचते हैं कि पवित्र आत्मा एक व्‍यक्ति है – एक ईश्वर। परन्तु हमने बाइबिल से भली भांति देख और समझ लिया है कि पवित्र आत्मा परमेश्वर की सामर्थ्य है। इसलिए हम सब जानते हैं कि लोगों का यह विचार ठीक नहीं हो सकता। तो फिर क्यों यीशु कुछ जगहों में पवित्र आत्मा के विषय में ऐसे बताते है कि जैसे यह कोई व्‍यक्ति है?

भजन संहिता 65 को पढ़िए जो कहता है,

‘चराइयाँ भेड़-बकरियों से भरी हुई हैं; और तराइयाँ अन्न से ढँपी हुई हैं, वे जयजयकार करतीं और गाती भी हैं।’ (भजन संहिता 65:13)

जब हम इसे पढ़ते हैं हमारी आँखों के सामने तराई में पके अन्न के लहलहाते पौंधो का एक सुन्दर तस्‍वीर बन जाती है; परन्तु एक क्षण के लिए भी हम कल्‍पना नही करते हैं कि तराई जयजयकार करती और गाती भी है – यह इस तस्‍वीर की व्‍याख्‍या करने का भजनकार का तरीका है।

इसी प्रकार जब यीशु पवित्र आत्मा को एक व्यक्ति जैसा सम्बोधित करते है तो वह केवल यह दिखाना रहे है कि वास्‍तव में यह आत्‍मा या परमेश्वर की सामर्थ क्‍या है।

आत्मा शिष्यों पर उतरता है

हम देख चुके हैं कि स्वर्गारोहण के पहिले यीशु ने अपने शिष्यों से प्रतिज्ञा की कि उन्‍हें सामर्थ्य। यीशु ने उन्हें यरूशलेम में रुकने के लिए कहा और कहा कि, ‘पिता की उस प्रतिज्ञा के पूरे होने की बाट जोहते रहो’, और उनसे यह भी प्रतिज्ञां की कि ‘...थोड़े दिनों के बाद तुम पवित्र आत्मा से बपतिस्मा पाओगे।’ (प्रेरितों के काम 1:4-5)

प्रेरितों के काम और उसके दूसरे अध्याय में हम पढ़ते हैं किस तरह जब शिष्य प्रतिक्षा कर रहे थे तो उन पर पवित्र आत्मा आया। 1 से 3 पद पढ़िये। आत्मा एक ध्वनि के साथ आया

‘...बड़ी आँधी की सी सनसनाहट का शब्द...’ (प्रेरितों के काम 2:2)

इस आवाज की गूंज से, जिस घर में वे इकट्ठे थे वह हिलने लगा। आग की सी जीभें उन में से प्रत्येक पर दिखाई दी और यह उन्हें पवित्र आत्मा दिये जाने का संकेत था। वे सब पवित्र आत्मा से भर गए और इसके बाद जैसा यीशु ने उनसे प्रतिज्ञा की थी वे बहुत से चमत्‍कार करने लगे।

आत्मा हम तक आता है

हमने देखा कि परमेश्वर के पवित्र आत्मा की सामर्थ्य से प्रेरित होकर बाइबिल की पुस्तकों के लेखकों ने उन्हें लिखा। यीशु ने एक बार कहा,

‘जो बाते मैं ने तुम से कही हैं वे आत्मा हैं और जीवन भी है।’ (यूहन्ना 6:63)

जब हम परमेश्‍वर का वचन पढ़ते है तो हम परमेश्‍वर की आत्‍मा पाने की चेतना में होते है। यह हमारे जीवन का बदल सकता है और हमें इस प्रकार बढ़ने में हमारी सहायता करता है जिससे हम परमेश्‍वर को अधिक प्रसन्‍न कर सके।

तो आईये हम परमेश्वर के वचन को प्रार्थना सहित और सम्‍पूर्ण समर्पण से पढ़े और पतरस के उन शब्‍दों को याद रखें जो उसने अपनी पहली पत्री में लिखे कि,

'नये जन्‍में हुए बच्‍चों के समान निर्मल आत्मिक दूध की लालसा करो, ताकि उसके द्वारा उद्धार पाने के लिए बढ़ते जाओ।' (1पतरस 2:2)

‘...परमेश्वर का वचन समझकर (और सचमुच यह ऐसा ही है) ग्रहण किया; और वह तुम विश्वासियों में जो विश्वास रखते हो, प्रभावशील है।’ (1 थिस्सलुनीकियों 2:13)

‘पवित्रशास्‍त्र तेरा जाना हुआ है, जो तुझे मसीह पर विश्वास करने से उद्धार प्राप्‍त करने के लिये बुद्धिमान बना सकता है।’ (2 तीमुथियुस 3:15)

जब हम बाइबिल को पढ़ते है, और उसके सन्देश को समझते हैं परमेश्वर अपने वचन के द्वारा हमसे बाते करता है। चूंकि उसकी शिक्षाएँ हमारे भावों को बदलती है, इसका मतलब है कि परमेश्वर का आत्मा हम में कार्य कर रहा है। धीरे धीरे हम धार्मिक पृवत्ति के हो जाते है; हमारे जीवन बदल जाते हैं और हम इस तरह से आगे बढ़ते जाते है जो परमेश्वर को प्रसन्न है।

इसलिये आइये पतरस की सलहा को याद रखते हुए हम प्रतिदिन अपने हित के लिये परमेश्वर के वचन को पढ़ने की हर कोशिश करें,

‘नये जन्मे हुए बच्‍चों के समान निर्मल आत्मिक दूध की लालसा करो, ताकि उसके द्वारा उद्धार पाने के लिये बढ़ते जाओ।’ (1 पतरस 2:2)

पवित्र आत्मा के विषय में हमने क्या सीखा है?

  1. पवित्र आत्मा परमेश्वर की सामर्थ्य है।
  2. पवित्र आत्मा की सामर्थ्य से बाइबिल लिखी गई थी।
  3. यीशु का जन्म पवित्र आत्मा की सामर्थ्य द्वारा हुआ था।
  4. परमेश्वर के सब भविष्यद्वक्ताओं को पवित्र आत्मा का एक दान मिला था, परन्तु यीशु को वह बिना माप के दिया गया।
  5. यीशु के स्वर्गारोहण के पश्चात, उसके शिष्यों को पवित्र आत्मा दिया गया।