Dipak Issue 7 (August 2010)

तेरा वचन मेरे पांव के लिये दीपक, और मेरे मार्ग के लिये उजियाला है। भजन संहिता 119:105

आत्‍मिक प्रोत्‍साहन (Prime the pump)

हम सभी अपने दैनिक जीवन में पानी के पम्‍प का प्रयोग करते है। कभी-कभी यह पम्‍प पानी देना बंद कर देता है और हमें इसकी प्राइमिंग करनी पडती है, जिसके बाद पम्‍प फिर से पानी देने लगता है। पम्‍प की प्राइमिंग सूख जाने पर पम्‍प चलता रहता है परन्‍तु यह पानी नही देता इस स्थिति में पम्‍प से पानी पुन: प्राप्‍त करने के लिए पम्‍प की प्राइमिंग करना अति आवश्‍यक हो जाता है, और एक बार पम्‍प की प्राइमिंग करने के बाद यह फिर से लगातार पानी देने लगता है।

पानी के पम्‍प के समान ही हम भी अपनी प्राइमिंग (प्रोत्‍साहन) खो देते है। जब ऐसा होता है तो हम दौडते रहते है दौडते रहते है लेकिन हमें कोई पानी नही मिलता है। इस प्रकार के पम्‍प, जो बिना पानी दिये लगातार चलते रहते है, निश्‍चित ही जल जाते है। पम्‍प की प्राइमिंग के लिए हमें थोडे से पानी की आवश्‍यकता होती है और उसके बाद हमें फिर से बहुतायत से पानी मिलने लगता है। दुष्‍ट लोगों के विषय में पतरस कहता है कि वे, ''अन्‍धे कुंए'' है। पतरस के समय में बिजली के पम्‍प नही थे, इसलिए पतरस के लिए सूखा कुंआ (अन्‍धा कुंआ) ठीक वैसे ही बेकार था जैसे प्राइमिंग सूखा हुआ पानी का पम्‍प। पतरस के समय के सूखे कुंए और आज के पम्‍प में फर्क केवल यह है कि सूखे पम्‍प को चलाना आसान है।

आत्मिक रूप से इसका क्‍या अर्थ है जब पम्‍प के समान हमारी प्राइमिंग सूख जाती है? इसका अर्थ है कि हम अस्‍थाई रूप से अपने आप को परमेश्‍वर के निकट महसूस नही करते है। यद्यपि परमेश्‍वर हम में से किसी से भी दूर नही है, लेकिन ऐसा समय आता है जब हम आपने आप को परमेश्‍वर से दूर महसूस करते है। यह ठीक उसी के समान होता है जैसा इस्राएल के लोगों ने अपनी जंगल की यात्रा के दौरान कहा, ''परन्‍तु अब हमारा जी घबरा गया है, यहां पर इस मन्‍ना को छोड और कुछ भी देख नही पडता।'' यदि हम सोचे तो इस्राएल के ये लोग कितने अकृतघ्‍न थे जो स्‍वर्गदूतो का भोजन मिलने के बाद भी शिकायत कर रहे थे। परमेश्‍वर ने हमें बहुतायत से आशीषे दी है लेकिन तो भी यह सम्‍भव है कि कभी-कभी हम अकृतघ्‍न महसूस करते है, और अपने आप को आत्मिक रूप से सूखा हुआ महसूस करते है। अवश्‍य ही दाऊद भी इसी प्रकार की स्थिति में था, जब वह कहता है कि, ''मेरे डग तो उखडना चाहते थे, मेरे डग फिसलने ही पर थे।'' दाऊद ने, दुष्‍ट लोगों की उन्‍नति को देखकर, परमेश्‍वर से प्रश्‍न किया। पम्‍प की प्राइमिंग सूख जाने के समान ही दाऊद ने भी अस्‍थाई रूप से अपना आत्मिक प्रोत्‍साहन (प्राइमिंग) खो दिया था, वह सूख गया था और अपने आप को परमेश्‍वर से दूर महसूस कर रहा था। वह यह देखकर आश्‍चर्यचकित था कि क्‍या वास्‍तव में अच्‍छा बनने के लिए इतना अधिक बलिदान देना पडता है, क्‍योंकि दुष्‍ट लोग, परमेश्‍वर के लोगों से, बेहतर स्थिति में दिख पड रहे थे।

जब हम ऐसा महसूस करते है तो हमें पम्‍प की प्राइमिंग के समान ही कुछ ऐसा करना चाहिये ताकि हमारे द्वारा जीवन का जल फिर से बहने लगे। प्रभु यीशु मसीह एक बहुत ही अच्‍छा प्रस्‍ताव देते है, जब वह कहते है कि,'' और जो प्‍यासा हो, वह आए, और जो कोई चाहे वह जीवन का जल सेंतमेंत लें।'' जीवन के जल से प्राइमिंग के द्वारा हम अपना आत्मिक प्रोत्‍साहन करें। जब दाऊद अपने आप को आत्मिक रूप से सूखा महसूस कर रहा था तो वह परमेश्‍वर के भवन में गया और वह समझ गया। वह बोला और अपने आप को आत्मिक रूप से प्रोत्‍साहित (प्राइमिंग) किया और जीवन का जल फिर से उसके द्वारा बहने लगा। उसे लगा कि वह मूर्ख और अज्ञानी है और उसको लगा कि उसने एक पशु के समान व्‍यवहार किया। फिर वह साहस से भर गया और कहा,''मेरे हद्वय और मन दोनो हार गये, परन्‍तु परमेश्‍वर सर्वदा के लिए मेरा भाग और मेरे हद्वय की चट्टान बना है। परन्‍तु परमेश्‍वर के समीप रहना, यही मेरे लिए भला है; मैंने प्रभु यहोवा को अपना शरणस्‍थान माना है, जिस से मैं तेरे सब कामों का वर्णन करूं।''

हम दाऊद की मनोदशा के परिवर्तन को देख सकते है उसको मिला जीवन का जल फिर से बहने लगा। यदि हम भी आत्मिक रूप से अपने आप को सूखा हुआ महसूस कर रहे है, तो आओ हम भी वही करे जो दाऊद ने किया। आओ हम भी, परमेश्‍वर की निकटता में आकर, उसके वचन को पढकर, प्रार्थना के द्वारा, और परमेश्‍वर के भवन में जाकर, अपने आत्मिक पम्‍प की प्राइमिंग करे और फिर से जीवन के जल के बहाव को प्राप्‍त करें।

हम कभी भी अपने आत्मिक सूखेपन का जवाब इस संसार में नही पायेगें, क्‍योंकि इस संसार और उसके गलत रास्‍तों के कारण ही हमारा आत्मिक पम्‍प सूख जाता है। पानी के पम्‍प में अचानक हवा आ जाने के कारण उसकी प्राइमिंग समाप्‍त हो जाती है और वह पानी देना बंद कर देता है। पम्‍प से पुन: पानी लेने के लिए हम पानी के द्वारा उसकी हवा को निकालते है अर्थात उसकी प्राइमिंग करते है। यह संसार लगातार उस जीवन के जल को, जो हमारे द्वारा बहना चाहिये, हवा में बदलने प्रयास करता है, जो कि कुछ नही है। जब जीवन के जल में यह संसारिक हवा प्रवेश कर जाती है तो हमारा आत्‍मिक पम्‍प अपना कार्य करना बंद कर देता है। किसी भी पम्‍प की प्राइमिंग करने के लिए बहुत अधिक पानी की आवश्‍यकता नही होती है। आओ हम ध्‍यानपूर्वक इस सांसारिक हवा को जीवन के जल में परिवर्तित करें। प्रभु यीशु मसीह ने वायदा किया कि,''मैं प्‍यासे को जीवन के जल के सोते में से सेंतमेंत पिलांऊगा।''

‘आत्मिमक प्रोत्साहन’ (Prime the pump) is taken from ‘Minute Meditations’ by Robert J. Lloyd

दुष्‍टात्‍मा और शैतान: नया नियम
(The Devil and Satan: New Testament)

इस पत्रिका के पिछले अंक में हमने पुराने नियम में प्रयोग किये गये 'दुष्‍टात्‍मा' (Devil) और 'शैतान' (Satan) शब्‍दों को देखा। ये शब्‍द नये नियम में थोडा सा अलग तरह से प्रयोग किये गये है। सामान्‍य अर्थ के साथ-साथ इन दोनों शब्‍दों का प्रयोग संकेतिक रूप में भी किया गया है। इनके सही अर्थ को समझने के लिए आपको इनके सन्‍दर्भो को पढना चाहिये।

मुख्‍य पद: मत्‍ती 4:1-11

प्रभु यीशु मसीह को पवित्र आत्‍मा की सामर्थ का दान दिया गया और उनको इसे प्रयोग करने के लिए शर्ते भी दी गयी। पवित्र आत्‍मा की इस सामर्थ को, अपनी आवश्‍यकता के लिए, अपनी लोकप्रियता और सामर्थ के लिए प्रयोग करने के लिए, प्रभु यीशु मसीह की जंगल में परीक्षा हुयी। प्रभु यीशु मसीह इन परीक्षाओं में खरे निकले और अपने आप को उन्‍होनें, पवित्र आत्‍मा की सामर्थ को सही प्रयोग करने के लिए, सबसे योग्‍य सिद्व किया। बाईबल बताती है कि ये परीक्षायें "दुष्‍टात्‍मा" (devil) और "शैतान" (Satan) की ओर से थी।

  1. वर्णित तीन परीक्षाओ पर विचार करें और इनके द्वारा प्रभु यीशु मसीह की परीक्षा क्‍यों हुयी? क्‍या इनके द्वारा आपकी भी परीक्षा हो रही है?
  2. किस पर्वत से ''दुनिया के सभी राज्‍य और उनका वैभव'' देख पाना सम्‍भव है? (पद 8)
  3. प्रभु यीशु मसीह को कौन ''इस संसार के समस्‍त राज्‍य उनका वैभव'' दे सकता था? (पद 8-9)
  4. क्‍या इन पदों में और भी कुछ ऐसा है जो शब्दिक न होकर संकेतिक हो?
  5. इस बात पर विचार किजिये कि यहां वर्णित ''दुष्‍टात्‍मा'' (devil), प्रभु यीशु मसीह की अपनी मानवीय सोच का, एक संकेत है। क्‍या यहां वर्णित घटना के लिए ऐसा सोचना तर्कसंगत है?
  6. ''तब शैतान उसके पास से चला गया'' इसका क्‍या अर्थ है? (पद 11)

पाप का स्रोत (The source of sin)

बाईबल बताती है पाप हमारे भीतर से उत्‍पन्‍न होता है। याकूब कहता है, ''परन्‍तु प्रत्‍येक व्‍यक्ति अपनी ही अभिलाषा में खिंचकर, और फसंकर परीक्षा में पडता है। फिर अभिलाषा गर्भवती होकर पाप को जनता है और पाप जब बढ जाता है तो मृत्‍यु को उत्‍पन्‍न करता है।'' (याकूब 1:14-15) पौलुस ने भी ऐसा ही लिखा, ''तो ऐसी दशा में उसका करने वाला मैं नही, वरन पाप है, जो मुझ में बसा हुआ है। सो मैं यह व्‍यवस्‍था पाता हूं, कि जब भलाई करने की इच्‍छा करता हूं, तो बुराई मेरे पास आती है।'' (रोमियों 7:17,21)

इसलिए वह चीज जो हमें अच्‍छा कार्य करने से रोकती है, पौलुस कहता है, वह ''मुझ में बसा पाप'' है। धारण मनुष्‍य के समान ही प्रभु यीशु मसीह की भी परीक्षा हुयी लेकिन अन्‍तर केवल इतना था कि उन्‍होने पाप नही किया। इसलिए प्रभु यीशु मसीह की परीक्षायें भी, हमारे ही समान, उनके भीतर से होनी चाहिए। (इब्रानियों 4:15)

हमारी पाप करने की इच्‍छा का एक संकेत (A symbol of our desire to sin)

नये नियम में दुष्‍टात्‍मा और शैतान का प्रयोग, मनुष्‍य की पाप करने की प्रवृति के संकेत, के रूप में किया गया है। जंगल में प्रभु यीशु मसीह की परीक्षा के दौरान भी यही देखा गया है। ऊपर वर्णित रोमियो की पुस्‍तक के पद में भी यही विचार प्रयोग किया गया है, जहां पौलुस अपनी पाप करने की मानवीय प्रवृति को ''मुझ में बसा पाप'' कहकर वर्णित करता है।

इब्रानियों की पुस्‍तक बताती है कि जब प्रभु यीशु मसीह की मृत्‍यु हुयी तो उन्‍होनें ''मृत्‍यु के द्वारा उसे जिसे मृत्‍यु पर शक्ति मिली थी, अर्थात शैतान (devil) को निकम्‍मा कर दिया।'' (इब्रानियों 2:14)

इस पद की तुलना इब्रानियो की पुस्‍तक में थोडा आगे लिखे इस पद से कीजिये- ''अब युग के अन्‍त में वह एक बार प्रगट हुआ है, ताकि अपने ही बलिदान के द्वारा पाप को दूर कर दे।'' (इब्रानियों 9:26)

ये दोनों पद एक ही बात बता रहे है: जब प्रभु यीशु मसीह की मृत्‍यु हो गयी तो पाप की सामर्थ समाप्‍त हो गयी क्‍योंकि उनके बलिदान के द्वारा हमारे पाप क्षमा हो सकते है। पहले पद का अर्थ स्‍पष्‍ट हो जाता है यदि हम दुष्‍टात्‍मा (devil) को, पाप करने की मानवीय प्रवृति, का संकेत माने। अब इन दोनों पदो की तुलना कीजिये- ''मसीह यीशु पापियों का उद्वार करने के लिए जगत में आया।'' (1 तीमुथियुस 1:15) ''परमेश्‍वर का पुत्र इसलिए प्रगट हुआ, कि शैतान के कामों को नाश करें।'' (1 यूहन्‍ना 3:8) फिर से यहां, ये दोनो पद एक ही बात कह रहे है। दुष्‍टात्‍मा (devil), पाप करने की मानवीय प्रवृति का एक संकेत है और दुष्‍टात्‍मा (devil) का कार्य वह पाप है जो हम करते है। जब हम क्षमा किये जाते है तो ये पाप समाप्‍त हो जाते है, और इसलिए मन फिराने वाले पापी बचाये जाते है।

झूठा दोष लगाने वाले (False accusers)

नये नियम में वर्णित दुष्‍टात्‍मा (devil) शब्‍द, यूनानी (Greek) भाषा के शब्‍द 'डायबलोस' (diabolos) का अनुवाद है जिसका अर्थ 'झूठा दोष लगाने वाला' (false accuser) होता है। कभी-कभी इसका अनुवाद दुष्‍टात्‍मा (devil) किया गया है लेकिन कही-कही पर इसका अनुवाद '' झूठा दोष लगाने वाला'' (false accuser) या ''निन्‍दक'' (slanderer) किया गया है। क्‍या आप बता सकते है कि निम्‍न पदों में कौन सा शब्‍द 'डायबलोस' (diabalos) है?

''इसी प्रकार बूढी स्त्रियों का चाल चलन पवित्र लोगों सा हो, दोष लगाने वाली और पियक्‍कड नही; पर अच्‍छी बातें सिखाने वाली हों।'' (तीतुस 2:3)

''इसी प्रकार से स्त्रियों को भी गम्‍भीर होना चाहिए; दोष लगाने वाली न हो; पर सचेत और सब बातों में विश्‍वासयोग्‍य हो।'' (1 तीमुथियुस 3:11)

प्रभु यीशु मसीह ने यहूदा को ''दुष्‍टात्‍मा'' (devil) कहा:

''क्‍या मैने तुम बारहों को नहीं चुन लिया? तौभी तुम में से एक व्‍यक्ति शैतान है। यह उस ने शमौन इस्‍करियोती के पुत्र यहूदा के विषय में कहा, क्‍योंकि यही जो उन बारहो में से था, उसे पकडवाने को था।" (यूहन्‍ना 6:70-71)

यहूदा दुष्‍टात्‍मा (devil) था क्‍योंकि उसने प्रभु यीशु मसीह को धोखा दिया।

विरोधी (Adversaries)

नये नियम में कही- कही पर ''शैतान'' (Satan) शब्‍द किसी विरोधी (adversary or opponent) के लिए भी प्रयोग किया गया है, ठीक वैसे ही जैसे यह पुराने नियम में है। उदाहरण के लिए यदि हम देखें तो, प्रभु यीशु मसीह पतरस को ''शैतान'' (Satan) कहते है, जब पतरस यीशु मसीह को यह समझाने का प्रयास करता है कि वे मारे नही जायेगें।

''इस पर पतरस उसे अलग ले जाकर झिडकने लगा कि हे प्रभु, परमेश्‍वर न करें; तुम पर ऐसा कभी न होगा। उस ने फिरकर पतरस से कहा, हे शैतान, मेरे सामने से दूर हो। तू मेरे लिये ठोकर का कारण है; क्‍योंकि तू परमेश्‍वर की बाते नही, पर मनुष्‍यों की बातों पर मन लगाता है।" (मत्‍ती 16:22-23)

कुछ सम्‍बन्धित पद

वे पद जहां 'डायबलोस' (diabolos) को ''दुष्‍टात्‍मा'' (devil) अनुवादित किया गया है:
1 तीमुथियुस 3:11; 2 तीमुथियुस 3:1-3; तीतुस 2:3
वे पद जहां ''दुष्‍टात्‍मा'' (devil) कोई एक व्‍यक्ति या लोगों का समूह है:
यूहन्‍ना 6:70-71; 1 पतरस 5:8; प्रकाशितवाक्‍य 2:10
वे पद जहां ''दुष्‍टात्‍मा'' (devil) पाप करने की मानवीय प्रवृति का संकेत है:
मत्‍ती 4:1-11; मत्ति 13:39, 25:41; लूका 4:1-13, 8:12; यूहन्‍ना 8:44, 13:2;
प्रेरितों 10:38, 13:10; इफिसियों 4:27, 6:11; 1 तीमुथियुस 3:6-7;
2 तीमुथियुस 2:26; इब्रानियों 2:14; याकूब 4:7; 1 यूहन्‍ना 3:8
वे पद जहां ''शैतान'' (Satan) एक व्‍यक्ति या लोगों का समूह है:
मत्‍ती 16:23; मरकुस 8:33; रोमियों 16:20; 2 कुरिन्थियों 11:14;
1 थिसलुनिकियों 2:18; प्रकाशितवाक्‍य 2:9,13
वे पद जहां शैतान (Satan), पाप करने की मानवीय प्रवृति का संकेत है:
मत्‍ती 4:10; मरकुस 1:13, 4:15; लूका 10:18; प्रेरितों 5:3, 26:18; 1 कुरिन्थियों 7:5;
1 तिमुथियुस 5:15; प्रकाशितवाक्‍य 20:2,7

सारांश (Summary)

  1. नये नियम में कहीं-कहीं पर ''शैतान'' (Satan) शब्‍द किसी विरोधी (adversary or opponent) के लिए प्रयोग किया गया है, ठीक वैसे ही जैसे यह पुराने नियम में है।
  2. नये नियम में वर्णित दुष्‍टात्‍मा (devil) का अर्थ झूठा दोष लगाने वाला (false accuser) या निन्‍दक (slanderer) है।
  3. दुष्‍टात्‍मा (devil) और शैतान (Satan) दोनो का प्रयोग, पाप करने की मानवीय प्रवृति के संकेत के रूप में किया गया है।

विचारणीय पद (Thought provokers)

  1. बाईबल में वर्णित दुष्‍टात्‍मा (devil), पाप करने की मानवीय प्रवृति का मानवीकरण है। यही कारण है कि बाईबल इसे एक जीवित प्राणी की तरह वर्णित करती है। आपके विचार से बाईबल में अन्‍य दूसरे मानवीकरण क्‍या है? (देखें नीतिवचन 9:1; मत्‍ती 6:24; यूहन्‍ना 8:34; प्रकाशितवाक्‍य 6:8; रोमियों 7:14-25)
  2. बाईबल हमारी पाप करने की मानवीय प्रवृति को एक जीवित प्राणी (living being) क्‍यों बताती है?
  3. हमारी पाप करने की मानवीय प्रवृति के विचार के अनुसार प्रकाशितवाक्‍य 20:1-3 की व्‍याख्‍या कीजिये? मत्‍ती 13:24-30 में दिये गये बीज के दृष्‍टान्‍त और मत्‍ती 13:36-43 में प्रभु यीशु मसीह द्वारा दी गयी इस दृष्‍टान्‍त की व्‍याख्‍या को पढिये।
    1. यहां दुष्‍टात्‍मा (Devil) क्‍या है?
    2. जंगली बीज कौन है और गेहूं के अच्‍छे बीज कौन है?
    3. खेत क्‍या है?
    4. जंगली बीजों को कब साफ किया जायेगा?
    5. फसल क्‍या है?

अधिक जानकारी के देखें (Further investigation)

निम्‍नलिखित प्रश्‍नों के एक से अधिक सही उत्‍तर हो सकते है। अपने उत्‍तर के विषय में किसी अन्‍य व्‍यक्ति से विचार विमर्श कीजिये?

  1. पाप कहां से आया?
    1. इस संसार की एक बुरी ताकत से?
    2. एक शक्‍तिशाली जीवित बुरी सामर्थ से?
    3. हमारे माता-पिता से यह हमें विरासत में मिला?
    4. मानवीय प्रकृति की एक बुरी ताकत से?
  2. बाईबल में वर्णित "शैतान" (Satan) क्‍या है?
    1. एक शक्तिशाली जीवित बुरी सामर्थ?
    2. अदन की वाटिका का सर्प?
    3. एक शत्रु या विरोधी?
    4. हमारी पाप करने की मानवीय प्रवृति?
  3. बाईबल में वर्णित "दुष्‍टात्‍मा" (devil) क्‍या है?
    1. एक शक्तिशाली जीवित दुष्‍ट सामर्थ?
    2. अदन की वाटिका का सर्प?
    3. हमारी पाप करने की मानवीय प्रवृति?
    4. एक झूठा दोष लगाने वाला?

‘दुष्टात्मा और शैतान: नया नियम’ (The Devil and Satan: NT) is from ‘The Way of Life’ by Rob J. Hyndman

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