Dipak Issue 10 (November 2011)

तेरा वचन मेरे पांव के लिये दीपक, और मेरे मार्ग के लिये उजियाला है। भजन संहिता 119:105

शिक्षा (Education)

हयूक्‍सले ने एक बार कहा कि, “सम्‍पूर्ण शिक्षा का सबसे बहुमूल्‍य परिणाम वह है जो आपको इस योग्‍य बनाता है कि जो कार्य आपको करना है वह आप उसी समय पर करे जब वह होना चाहिए, चाहे आप उसे करना चाहे या नही।”

शिक्षा का सही मूल्‍यांकन तभी होगा जब सभी शिक्षित लाग धार्मिक होगें। दुभार्ग्‍यवश सच्‍चाई इसके विपरीत है। प्रत्‍येक नियम के लिए प्रतिबन्‍ध है लेकिन ऐसा लगता है कि अन्‍य लोगों की अपेक्षा उच्‍च शिक्षित लोगों के पास परमेश्‍वर के लिए कम समय है।

इससे पौलुस की वह बात सिद्ध हो जाती है जब पौलुस कहता है कि, “क्‍योंकि इस संसार का ज्ञान परमेश्‍वर के निकट मूर्खता है” क्‍योंकि “परमेश्‍वर की मूर्खता मनुष्‍यों के ज्ञान से ज्ञानवान है; और परमेश्‍वर की निर्बलता मनुषें के बल से बहुत बलवान है।”

अधिक ज्ञान बढाने की कोशिश में, जो आजकल सामान्‍य है, हम अपनी बुद्धि और छोटी-छोटी समस्‍याओं में इतने खो सकते है कि हम जो कार्य जिस समय पर होना चाहिए वह करने में असफल हो जाते है।

हम सब को चाहे शिक्षित हो या नही, हयूक्‍सले की बात से यह शिक्षा लेनी चाहिए कि, हमें जो कार्य जिस समय पर होने चाहिए उस समय पर उन्‍हें करने के लिए अपने को तैयार करना चाहिए चाहे हम करना चाहते हो या नही।

वास्‍तव में लगभग प्रत्‍येक अवसर से सफलता और असफलता के बीच में केवल सही समय पर सही कार्य करने की योग्‍यता का अन्‍तर है। राजा सुलैमान ने भी अपने ज्ञान के द्वारा कहा, “हर एक बात का एक अवसर और प्रत्‍येक काम का, जो आकाश के नीचे होता है, एक समय है। जन्‍म का समय, और मरन का भी समय;” आदि। हममे से अधिकांश ऐसे कार्यो को करना बन्‍द कर देते है जो हमें अच्‍छे नही लगते या जिनमें हमें आनन्‍द नही मिलता है। सच्‍चा धर्म सामान्‍य व्‍यक्ति को आकर्षित नही करता। पौलुस कहता है कि, “क्‍योंकि शरीर पर मन लगाना तो परमेश्‍वर से बैर रखना है, क्‍योंकि न तो परमेश्‍वर की व्‍यवस्‍था के आधीन है, और न हो सकता है।” यदि हम बुद्धिमान है तो जो हमें करना चाहिए उसको सीखेगें और करेगें। इसी से सफलता मिलती है। कुद शिक्षित लोगों ने इसे अपने व्‍यवसाय में लागू किया और बहुत ही उन्‍नति की है। तो परमेश्‍वर की सेवा के लिए इसे लागू करना हमारे लिए बहुत ही अधिक महत्‍वपूर्ण है। इस विश्‍लेषण के अन्‍त में हम कह सकते है कि परमेश्‍वर की व्‍यवस्‍था को मानना ही शिक्षा का वास्‍तविक मूल्‍य है और ईश्‍वरीय ज्ञान ही सबसे मूल्‍यवान ज्ञान है।

परमेश्‍वर के लिए जो कार्य करना चाहिए उसको किये बिना ही बहुत से लोग अपना जीवन व्‍यतीत कर देते है और अन्‍त में जब से मृत्‍यु के निकट होते है तो अन्‍हें पता चलता है कि उनका सम्‍पूर्ण ज्ञान और सम्‍पूर्ण धन किसी काम का नही है।

तो आओ अब हम अपने रचियता को याद करें इससे पहले कि वह समय निकट आ जाये कि हम परमेश्‍वर की सेवा करने के योग्‍य ना रहे। हमें बही पुराना बहाना नही बनाना चाहिए कि हमारे पास समय नही है। हम सब के पास प्रतिदिन 24 घण्‍टे का समय है और किसी के भी पास इससे अधिक या इससे कम समय नही है। यदि हम अपने आप में ईमानदार है तो हमें इस बात को स्‍वीकार करना चाहिए कि जो काम हमें पसन्‍द होता है उसको करने का समय हमें मिल जाता है। तो आओ हम हयूक्‍सले की, शिक्षित व्‍यक्ति की, उस परिभाषा को अपनाये और अपने आप में उस योग्‍यता को विकसित करें कि जो कार्य हमें करना है उसको उसी समय पर करें जिस समय पर वह होना चाहिए। परमेश्‍वर के निकट आने का समय अभी है। मृत्‍यु या प्रभु के आने पर बहुत देर हो जायेगी।

“जो काम तुझे मिले उसे अपनी शक्ति भर करना, क्‍योंकि अधोलोक में जहां तू जानवाला है, न काम न युक्ति न ज्ञान और न बुद्धि है।”

जिस प्रकार शतावर के स्‍वाद का आनन्‍द लेने के लिए हमें उसे यखाना सीखना पडता है ठीक उसी प्रकार हमने पता लगाया है कि जो कार्य हमें करने चाहिए जब हम उन्‍हें समय पर करते है तो हमें उससे आनन्‍द मिलने लगता है। ईश्‍वरीय आनन्‍द जैसा कोई आनन्‍द नही है और ईश्‍वरीय शान्ति जैसी कोई शान्ति इस पृथ्‍वी पर नही है लेकिन जब तक हम इसे प्रारम्‍भ नही करेगें और लगातार नही करेंगे हम इसका अनुभव कभी नही कर पायेगें।

और ऐसा करने के द्वारा हम, “पाप से स्‍वतंत्र होकर और परमेश्‍वर के दास बनकर तुम को फल मिला जिस से पवित्रता प्राप्‍त होती है, और उसका अन्‍त अनन्‍त जीवन है।”

‘शिक्षा’ (Education) is taken from ‘Minute Meditations’ by Robert J. Lloyd

प्रभु यीशु मसीह का पुन: आगमन
(The return of Jesus)

यद्यपि आज ईसाई समुदाय विभिन्‍न समूहों में बंट गया है तो ऐसी स्थिति में प्रभु यीशु मसीह के पुन:आगमन पर क्‍या होगा, बाईबल इस विषय में स्‍पष्‍ट रूप से बताती है। प्रभु यीशु मसीह का पुन:आगमन किस प्रकार होगा, पुन: आगमन पर वे क्‍या करेंगे, और यह भी की वे पृथ्‍वी पर कहाँ होंगे; इन सब बातों के विषय में बाईबल बताती है। लेकिन बाईबल हमें यह नही बताती कि उनका पुन: आगमन कब होगा।

मुख्‍य पद: प्रेरितों के काम 1:6-14

प्रेरितों के काम अध्‍याय 1 में हम देखते है कि प्रभु यीशु मसीह और उनके चेले यरूशलेम से किदरोन की घाटी को होते हुए, जैतून पर्वत पर जा रहे थे। जैसे ही प्रभु यीशु मसीह ने अपने हाथ उठाकर उन्‍हें आशीष दी, वे स्‍वर्ग में उठने लगे। चेलों ने बडे अचम्भित होकर देखा कि प्रभु यीशु मसीह स्‍वर्ग में उठा लिये गये और बादल ने उन्‍हें उन की आंखो से छिपा लिया। जब चेले आकाश की ओर ताक रहे थे, तो अचानक दो पुरूष श्‍वेत वस्‍त्र पहिने हुए उन के पास आ खडे हुए। इन स्‍वर्गदूतों ने चेलों को बताया कि प्रभु यीशु मसीह फिर आयेंगे।

  1. प्रभु यीशु मसीह जानते थे कि उन्‍हें जाना था। वे इस बात को कैसे जानते थे?
  2. क्‍या चेले पहिले से जानते थे कि प्रभु यीशु मसीह स्‍वर्ग में जायेगें और फिर बापस आयेगें?
  3. स्‍वर्गदूतों ने चेलों को बताया कि यीशु मसीह उसी रीति से वापस आयेगें जिस रीति से उन्‍होनें उन्‍हें जाते देखा। इसका अर्थ क्‍या है?

यीशु मसीह का पुन: आगमन क्‍यों?

प्रभु यीशु मसीह के पुन: आगमन का उद्देश्‍य उन बची हुयी प्रतिज्ञाओं को पूरा करना है जो नये और पुराने नियम की भविष्‍यवाणियों में की गयी है। वे उन कार्यो को पूरा करेगें जो उन्‍होनें तब शुरू किये थे जब वे पहली बार पृथ्‍वी पर थे।

इब्रानियें की पुस्‍तक में हम पढते है-

“मसीह भी बहुतों के पापों को उठा लेने के लिए एक बार बलिदान हुआ और जो लोग उस की बाट जोहते है, उन के उद्धार के लिए दूसरी बार बिना पाप के दिखाई देगा।“ (इब्रानियों 9:28)

प्रभु यीशु मसीह की शिक्षाओं पर चलने वाले लोगों के लिए यह बडे उत्‍साह और उत्‍तेजना का समय होगा जो लगभग 2000 वर्षो से उनके पुन:आगमन की प्रतिक्षा कर रहे है। यह असाधारण बदलाव का समय भी होगा क्‍योंकि ये पापी और रक्‍तपात का संसार, शान्ति और धार्मिकता से रहना सीखेगा।

प्रभु यीशु मसीह का आगमन कब?

हमने पढा कि यीशु मसीह पृथ्‍वी पर राज्‍य करने के लिए ठीक उसी रीति से आयेगें जिस रीति से उसके चेलों ने उन्‍हें जाते देखा। वे पिता द्वारा निश्चित किये गये समय पर वापस आयेगें।

यीशु मसीह की मृत्‍यु से पहले चेलों ने उनसे पूछा कि वे कब वापस आयेगें-

“और जब वे जैतून पहाड पर बैठा था, तो चेलों ने अलग उसके पास आकर कहा, हम से कह कि ये बातें कब होगी? और तेरे आने का और जगत के अन्‍त का क्‍या चिन्‍ह होगा?” (मत्ति 24:3)

यीशु मसीह ने उत्‍तर दिया-

“उस दिन और उस घडी के विषय में कोई नही जानता; न स्‍वर्ग के दूत, और न पुत्र, परन्‍तु केवल पिता ... इसलिए तुम भी तैयार रहो, क्‍योंकि जिस घडी के विषय में तुम सोचते भी नही हो, उसी घडी मनुष्‍य का पुत्र आ जाएगा” (मत्ति 24:36,44)

इसलिए हम उस निश्चित समय को नही जानते जब यीशु मसीह वापस आयेगें।

परमेश्‍वर ने हमें कुछ चिन्‍ह दिये जो इस ओर संकेत करते है कि यीशु मसीह का आगमन निकट है। अदाहरण के लिए देखे तो-

“उसने कहा कि इस्राएल अपनी भूमि में आयेगा और परमेश्‍वर के राज्‍य से पहले अपने राष्‍ट्र को पुन: गठित करेगा।” (यहेजकेल 37)

यीशु मसीह के पुन:आगमन पर क्‍या होगा

आगे मत्ति के अध्‍याय 24 में हम पढते है कि यीशु मसीह के पुन:आगमन पर प्रकट होने जैसे बिजली पूर्व से निकलकर पश्चिम तक चमकती जाती है, वैसे उनके आने पर होगा। इसका अर्थ है कि उनका पुन: आगमन पूर्ण रूप से प्रकट होगा।

हम यह भी पढते है कि उनके पुन:आगमन पर उनका इनकार होगा-

“उस समय जब कि प्रभु यीशु अपने सामर्थी दूतों के साथ, धधकती हुई आग में स्‍वर्ग से प्रगट होगा। और जो परमेश्‍वर को नही पहचानते, और हमारे प्रभु यीशु के सुसमाचार को नही मानते उन से पलटा लेगा” (2 थिस्‍सलुनीकियों 1:7-8)

हम यह भी पढते है कि राष्‍ट्र उनके विरूद्ध युद्ध के लिए तैयार होगें-

“जाति जाति के लोग क्‍यों हुल्‍लड मचाते है, और देश देश के लोग व्‍यर्थ बातें क्‍यों सोच रहे हैं? पृथ्‍वी के राजा मिलकर, और हाकिम आपस में यहोवा के आर उसके अभिषिक्‍त के विरूद्ध सम्‍मति करते है” (भजन संहिता 2:1-2)

यह बात एक असाधारण स्थिति को पैदा करती है: प्रभु यीशु मसीह का पुन:आगमन पूर्ण रूप से दिव्‍य घटना है तो भी इस विश्‍व की जनसख्‍ंया का अधिकांश भाग या तो इसे अनदेखा करता है या इसको गलत समझता है या इसके विरोध में है।

कुछ सम्‍बन्‍धित पद

प्रभु यीशु मसीह के पुन:आगमन की प्रतिज्ञायें: मत्ति 16:27, 25:31; लूका 21:27; प्रेरितों के काम 1:11, 3:20-21; 1 थिस्‍सलुनीकियों 4:16; 2 तीमुथियुस 4:1,8; तितुस 2:13; प्रकाशितवाक्‍य 22:20

प्रभु यीशु मसीह के पुन:आगमन का उद्देश्‍य: इब्रानियों 9:28

प्रभु यीशु मसीह के पुन:आगमन पर युद्ध: भजन 2:1-2; 2 थिस्‍सलुनीकियों 1:7-8

मसीह का न्‍याय सिहांसन: मत्ति 25:31-46; प्रेरितों के काम 10:42, 17:31; रोमियों 2:6-8,16, 14:10-12; 2 कुरिन्थियों 5:10; 1 पतरस 4:5

प्रभु यीशु मसीह के पुन:आगमन के लिए तैयार: मत्ति 24:36-44; मरकुस 13:32-37; लूका 12:34-36; 1 थिस्‍सलुनीकियों 5:2-3; प्रकाशितवाक्‍य 16:15

प्रभु यीशु मसीह के पुन:आगमन के चिन्‍ह: यहेजकेल 37; दानिय्‍येल 12:1; मत्ति 16:2-3; लूका 17:20-24, 21:24-31; 2 थिस्‍सलुनीकियों 2:1-4; 2 तिमुथियुस 3:1-4

यीशु मसीह न्‍यायधीश

प्रभु यीशु मसीह के पुन:आगमन पर उनका सबसे पहला कार्य इस जगत का न्‍याय करना होगा। इसी समय विश्‍वासी लोगों को अमरता प्रदान की जायेगी। पौलुस ने लिखा है:

“क्‍योंकि अवश्‍य है, कि हम सब का हाल मसीह के न्‍याय आसन के साम्‍हने खुल जाए, कि हर एक व्‍यक्ति अपने अपने भले बुरे कामों का बदला जो उसने देह के द्वारा किए हो पाए।” (2 कुरिन्थियों 5:10)

पौलुस ने यह भी लिखा है:

“वह हर एक को उसके कामों के अनुसार बदला देगा। जो सुकर्म में स्थिर रहकर महिमा, और आदर, और अमरता की खोज में है, उन्‍हें वह अनन्‍त जीवन देगा। पर जो विवादी है, और सत्‍य को नही मानते, वरन अधर्म को मानते है, उन पर क्रोध और कोप पडेगा। ... जिस दिन परमेश्‍वर मेरे सुसमाचार के अनुसार यीशु मसीह के द्वारा मनुष्‍यों की गुप्‍त बातों का न्‍याय करेगा।” (रोमियों 2:6-8, 16)

प्रभु यीशु मसीह के पुन:आगमन के लिए तैयार रहना

प्रभु यीशु मसीह और नये नियम की पत्रियों के लेखकों ने बार बार लागों को इस बात के लिए चैताया कि उन्‍हें प्रभु यीशु मसीह के पुन:आगमन के लिए हर समय तैयार रहना चाहिए। उन्‍होनें इस बात पर भी जोर दिया कि हमें सावधान रहना चाहिए और इस जीवन की चिन्‍ता में पथभ्रष्‍ट नही होना चाहिए और प्रभु यीशु मसीह के पुन:आगमन की प्रतिक्षा उत्‍सुकता से करनी चाहिए।

“इसलिए जागते रहो, क्‍योंकि तुम नहीं जानते कि तुम्‍हारा प्रभु किस दिन आयेगा। परन्‍तु यह जान लो कि यदि घर का स्‍वामी जानता होता कि चोर किस पहर आयेगा, तो जागता रहता; और अपने घर में सेंध लगने न देता। इसलिए तुम भी तैयार रहो, क्‍योंकि जिस घडी के विषय में तुम सोचते भी नहीं हो, उसी घडी मनुष्‍य का पुत्र आ जाएगा।” (मत्ति 24:42-44)

सारांश

प्रभु यीशु मसीह पुन:आयेगें:

  • ठीक उसी रीति से जैसे वे स्‍वर्ग में गये;
  • परमेश्‍वर द्वारा निर्धारित किये गये समय पर;
  • सम्‍पूर्ण विश्‍व में गवाही दी जायेगी, लेकिन जिसको लगभग सम्‍पूर्ण विश्‍व ने गलत समझा गया;
  • स्‍वर्गदूतों के साथ;
  • एक न्‍यायी के रूप में;
  • परमेश्‍वर के राज्‍य की स्‍थापना के लिए;
  • राज्‍य पर शासन करने के लिए।

विचारणीय पद

  1. 1 थिस्‍सलुनीकियों 4:13-18 को पढिए। बहुत से लोग इन पदों को पढकर ऐसा समझते है कि परमेश्‍वर का राज्‍य स्‍वर्ग में (हवा में) होगा। लेकिन यदि हम इन से ऐसा समझते है कि परमेश्‍वर का राज्‍य स्‍वर्ग में होगा तो बाईबल की शिक्षाओं से विरोधाभाष होगा। ये पद क्‍या शिक्षा दे रहे है? क्‍या आप अन्‍य पद भी बाईबल में खोज सकते है जो ये बताते हो कि प्रभु यीशु मसीह के पुन: आगमन पर लोगों को उठा लिया जायेगा।
  2. प्रभु यीशु मसीह ने हमें परमेश्‍वर का राज्‍य आने के लिए प्रार्थना करना सीखाया (मत्ति 6:10) क्‍या इसका अर्थ है कि हमारी प्रार्थनाओं से प्रभु यीशु मसीह के आने का समय बदल जायेगा?
  3. मसीह के पुन:आगमन के समय की भविष्‍यवाणी करना क्‍यों सही नही है?

अन्‍य खोज

  1. मत्ति 24:32-51 को पढिए-
    1. प्रभु यीशु मसीह के पुन:आगमन के विषय में कौन सी बातें निश्चित है और किन बातों को अनिश्चित छोडा गया है?
    2. जागते रहो का क्‍या अर्थ है? हमें किस लिए जागते रहना है?
  2. प्रभु यीशु मसीह को यरूशलेम के ठीक बाहर स्‍वर्ग में उठा लिया गया (प्रेरितों अध्‍याय 1) क्‍या बाईबल में ऐसा कोई पद है जो यह बताता हो कि पृथ्‍वी पर उनकी पुन:वापिसी कहाँ होगी? क्‍या जकर्याह 14:4 इस विषय में बताता है?

‘प्रभु यीशु मसीह का पुन: आगमन’ (The return of Jesus) is from ‘The Way of Life’ by Rob J. Hyndman

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