तेरा वचन मेरे पांव के लिये दीपक, और मेरे मार्ग के लिये उजियाला है। भजन संहिता 119:105
अब समय है
टेड्डी रॉजवेल्ट ने एक बार कहा, "जो भी आपके पास हो, जहां भी आप हो और जो भी आप कर सकते हो उसको करें।" यह वास्तव में एक बहुत ही अच्छी सलाह है लेकिन हममें से बहुत कम लोग इसका अनुसरण करते है।
प्राय: हम बहुत बड़े काम करने की योजना बनाते है.... जबकि अच्छा यह है कि हम इसी समय छोटे काम करें बजाय इसके कि बाद में बड़े काम करेगें। दो दमड़ी देने वाली गरीब विधवा के पास एक उचित कारण था कि वह बाद में जब अमीर हो जायेगी तो अधिक दान देगी, लेकिन उसके पास जो भी था, जहां भी वह थी और जो भी वह कर सकती थी उसने किया।
बहुत से नौजवान ऐसा कहते है कि जब तक वे स्नातक नहीं होगें बपतिस्मा नहीं लेगें या जब तक उनको नौकरी नहीं मिलेगी वे बपतिस्मा नहीं लेगें या जब तक उनकी शादी नहीं होगी वे बपतिस्मा नहीं लेगें। बहुत से क्रिष्टेडेलफियन ऐसा कहते है कि जब तक वे सच्चाई को और अधिक नहीं जान लेगें वे प्रचार नहीं करेगें या जब तक उचित समय नहीं आयेगा वे प्रचार नहीं करेगें या जब तक वे मिशन कार्यक्षेत्र में नहीं जायेगें वे प्रचार नहीं करेगें। यह सम्पूर्ण संसार ही मिशन कार्यक्षेत्र है और प्रचार का समय अभी है।
जो भी आपके पास हो, जहां भी आप हो और जो भी आप कर सकते हो उसको करें, इस बात का एक अच्छा उदाहरण मरियम है।
लूका बताता है कि मारथा ने दो बार "यीशु मसीह को अपने घर बुलाया।" और मरियम के विषय में हम पढ़ते है कि वह यीशु मसीह के पीछे दूसरे लोगों के घर जाती थी। दो बार मरियम शमौन नामक एक व्यक्ति के घर यीशु मसीह के साथ गयी और एक बार अपनी बहन मारथा के घर गयी। मरियम का कोई घर नहीं था इसलिए वह यीशु मसीह को अपने घर आंमत्रित नहीं कर सकी। लेकिन महत्वपूर्ण बात यह है कि मरियम जो भी कर सकती थी उसने वह किया। वास्तव में यही शब्द यीशु मसीह ने भी उसके विषय में कहे। यीशु मसीह ने कहा, "उसे क्यों तंग करते हो? छोड़ो उसे। उसने तो मेरे लिए एक मनोहर काम किया है। क्योंकि कंगाल तो सदा तुम्हारे साथ रहेगें सो तुम जब चाहो उनकी सहायता कर सकते हो, पर मैं तुम्हारे साथ सदा नहीं रहूँगा। इस स्त्री ने वही किया जो वह कर सकती थी।"
मरियम बहुत अधिक नहीं कर सकी लेकिन उसने वह किया जो वह कर सकती थी। ऐसा ही प्रभु हमसे भी करने के लिए कहता है। इसलिए हम अभी वह करें जो हम कर सकते है।
मारथा को भी जो वह कर सकती थी वो करने की आज्ञा मिली होगी। आज कितनी घरेलू स्त्रियां है जो इसलिए यीशु मसीह को अपने घर आमंत्रित नहीं करती है, क्योंकि उन्हें अपने रहने की जगह में पेंटिंग लगानी है, या उनका कालीन फटा हुआ है या उनके पास कोई अच्छा भोजन बनाने वाला नहीं है? फिर भी मारथा ने वह किया जो वह कर सकती थी। ऐसा नही है कि मारथा का घर उस क्षेत्र में सबसे अच्छा था और हो सकता है कि वहां कोई और भी हो जो उससे अच्छा भोजन बनाने वाला हो लेकिन फिर भी उसने यीशु मसीह को आंमत्रित किया और जो भी उसके पास था, जहां भी वह थी और जो भी वह कर सकती थी उसने किया।
इसलिए अब हमारे लिए महत्वपूर्ण बात यह है कि हम यह निश्चित करे कि जो भी हमारे पास है ओर जहां भी हम है और जो भी हम कर सकते है वह हम कर रहे है। और यह शुरू करने का समय बिल्कुल अभी है। क्या कोई बीमार है? जाओं उनसे मिलो, उनको आज ही सान्तवना दो, उनको आज ही फोन करो और कहो कि हमें उनका ध्यान है। अभी ऐसा करो। ऐसा कौन है जो सत्यता को नहीं जानता? क्या हमने उसे अपनी इस अदभुत आशा के विषय में बताया है, कि हमें चिन्ता करने की अवश्यकता नहीं है अगर, डीजल या पेट्रोल खत्म हो रहा, युद्ध के विषय में, मुद्रास्फीति के लिए, या हमारे चारों ओर होने वाले नैतिकता के हनन के लिए। लोग इन बातों को लेकर चिन्तित रहते है। हम जानते है कि यीशु मसीह की वापिसी तक इन सब बातों का होना निश्चित है। क्या हम उन सभी को, जिनको हम बता सकते है, अपनी इस अदभुत आशा के विषय में बता रहे है? आपको मित्रों को आमंत्रित करने के लिए नगर में होने वाली किसी विशेष घोषणा की प्रतिक्षा करने की आवश्यकता नही है। जो भी आप के पास है, जहां भी आप है, और जो भी आप कर सकते है करें। जब तक आपको दानियेल और प्रकाशितवाक्य समझ में नहीं आ जाता तब तक आपको सच्चाई के प्रचार करने के लिए प्रतिक्षा करने की आवश्यकता नहीं है। जितना भी आप जानते है वह उनको अभी बताना शुरू करें। जितना अधिक आप उनको बतायेगें उतना ही अधिक आप स्वंय सीखेगें।
बहुत से सच्चाई को जानने वाले बच्चों ने अपने दोस्तों में इसके प्रति रूचि पैदा की है, जबकि बहुत से ऐसे अनुभवी लोग है जो सही समय की प्रतिक्षा कर रहे है। यदि किसी का घर जल रहा हो तो क्या हमें उसके आग के अलार्म बजने का इंतजार करना चाहिये। हमें वही और उसी समय अपनी उस आवाज, जो परमेश्वर ने हमें दी है, का इस्तेमाल करना चाहिये।
पौलुस ने कुरिन्थियों के लोगों से कहा, "देखों, उचित समय यही है, देखो, उद्धार का दिन यही है।" परमेश्वर की सेवा करने का समय अभी है। इसलिए जो भी हमारे पास है ओर जहां भी हम है और जो भी हम कर सकते है वह हम आज ही शुरू करें।
‘अब समय है’ (Now is the time) is taken from ‘Minute Meditations’ by Robert J. Lloyd
हम बाईबिल में विश्वास क्यों करें?
बाईबिल बहुत समय पहले लिखी गयी। हम यह कैसे विश्वास करें कि बाईबिल वास्तव में परमेश्वर के द्वारा लिखी गयी। वास्तव में बहुत से ऐसे प्रमाण है जो बाईबिल की दिव्य उत्पत्ति को सिद्ध करते है। यहां हम बहुत से ऐसे प्रमाणो को देखेगें जो इस बात को सिद्ध करते है कि बाईबिल की उत्पत्ति वास्तव में परमेश्वर की ओर से हुयी।
प्रचार: विश्वास करने के छ: कारण
प्रचार (PREACH) में छ: ऐसी बाते निहित है जो बाईबिल की दिव्य उत्पत्ति के विषय में बताती है।
Prophecy | — | भविष्यवाणी |
Resurrection | — | पुनर्रूत्थान |
Environment | — | सृष्टि |
Archaeology | — | पुरातत्व विज्ञान |
Consistency | — | निरन्तरता |
Health Laws | — | स्वास्थ्य व्यवस्था |
भविष्यवाणी
भविष्यवाणियों का पूरा होना, इस बात को दर्शाता है कि बाईबिल की उत्पत्ति अवश्य ही एक शक्तिमान परमेश्वर की ओर से हुयी है जो भविष्य को भी जानता है।
दूसरे अन्य स्थानों, जैसे – बाबुल, के विषय में भी विस्तृत भविष्यवाणियॉ है। जब यशायाह और यिर्मयाह ने बाबुल के विषय में भविष्यवाणी की, उस समय बाबुल विश्व का एक शक्तिशाली राष्ट्र था:
- बाबुल फिर कभी न बसेगा यशायाह 13:20
- वहां जगंली जन्तु बैठेगें, और उल्लू उनके घरो में भरे रहेगें यशायाह 13:21
- लोग उस से न तो घर के कोने के लिए पत्थर लेगें, और न नेव के लिए यिर्मयाह 51:26
- उस में कोई मनुष्य नही रहता, और उससे होकर कोई आदमी नही चलता यिर्मयाह 51:43
- मैं उसे सत्यानाश के झाडू से झाड डालूगां यशायाह 14:23
इनमें से प्रत्येक भविष्यवाणी पूर्ण हो चुकी है।
नबूकदनेस्सर की मूर्ति (दानिय्येल अध्याय 2) की भविष्यवाणी भी एक असाधारण भविष्यवाणी है। बेबीलॉन के राजा नबूकदनेस्सर ने एक विशाल मूर्ति के विषय में स्वप्न देखा, यह मूर्ति विभिन्न धातुओ से बनी हुयी थी। मूर्ति की इन विभिन्न धातुओं ने चार ऐसे सम्राज्यों को प्रदर्शित किया जिन्होनें मध्य पूर्व (Middle East) क्षेत्र पर शासन किया। यह विस्तृत स्वप्न उस समय देखा गया जब इन सम्राज्यो में से केवल पहला सम्राज्य ही अस्तित्व में था। अब क्योंकि इस स्वप्न के द्वारा की गयी भविष्वाणी के अनुसार ही ये सम्राज्य आये और चले गये, इसलिए हम स्वप्न के अन्तिम भाग के विषय में भी आश्वस्त हो सकते है कि वह भी पूरा होगा और परमेश्वर का राज्य स्थापित होगा।
यीशु मसीह के विषय में की गयी भविष्यवाणियां भी महत्वपूर्ण है। भजन संहिता 22 अध्याय की तुलना मत्ती के 27 अध्याय से करने पर हम देखते है कि यीशु मसीह के क्रूस पर चढाये जाने के समय की कितनी घटनाओं की भविष्यवाणी पहले से कर दी गयी थी। हम जानते है कि यह भजन यीशु मसीह के क्रूस पर चढाये जाने से पहले लिखा गया था क्योंकि भजनसंहिता की पुस्तक की प्रतिलिपियो का समय मृत सागर की सूचियो से पहले का है।
पुर्नरूत्थान
शायद सम्पूर्ण बाईबिल का सबसे आश्चर्यजनक दावा यीशु मसीह का मृतको में से जी उठने का है। इस घटना के बहुत ही मजबूत प्रमाण है।
उदाहरण के रूप में अगर देखें तो, बहुत से लोगों ने यीशु मसीह को पुर्नरूत्थान के बाद देखने का दावा किया। (1 कुरिन्थियों 15:3-8) उन में से बहुत से लोगों को शुरू में विश्वास नही हुआ और प्रभु यीशु मसीह को उन्हें अपने जीवित होने के बहुत से प्रमाण देने पडे। (प्रेरितो 1:3) अवश्य ही उन लोगों के सम्मुख विश्वास करने के लिए बाध्य करने वाले प्रमाण थे, इसलिए उन्हें विश्वास करना पडा।
प्रभु यीशु मसीह की मृत्यु के बाद सभी चेले हतोत्साहित हो गये और डर गये। लेकिन कुछ हफ्तों में ही वे फिर से प्रेरित और उत्साहित होकर सार्वजनिक रूप से अपने विश्वास की घोषणा करने लगे। जब तक उन्होनें यीशु मसीह को वास्तविक रूप से पुन: जीवित नही देखा वे क्यों नही बदले? चेलो के पास विश्वास ना करने का प्रत्येक कारण था। पुर्नरूत्थान में अपने विश्वास के कारण चेलो को बहुत सताव सहना पडा। निश्चय ही चेलो को पूर्ण रूप से विश्वास हो चुका था कि यीशु मसीह का पुर्नरूत्थान हो चुका है। कोई भी व्यक्ति बिना सच्चाई को जाने,केवल सन्देह में, इतने सताव को नहीं सह सकता जितना चेलो ने सहा।
यीशु मसीह की मृतक देह का ना पाया जाना भी उनके पुर्नरूत्थान का एक बडा प्रमाण है। यहूदी मसीही गतिविधियों को रोकना चाहते थे, और कोई भी मृतक देह दिखाकर, वे ऐसा आसानी से कर सकते थे, क्योंकि कब्र उनके संरक्षण में थी।
अत: इस प्रकार के तर्क यह प्रमाणित करते है कि यीशु मसीह वास्तव में मृतको में से जी उठे। और यदि यीशु मसीह जी उठे तो उन्हें जीवित करने वाला अवश्य ही एक सर्वशक्तिमान परमेश्वर है और बाईबिल उस परमेश्वर का वचन है।
सृष्टि
दाऊद ने आकाश की ओर देखा और कहा, ''आकाश ईश्वर की महिमा का वर्णन कर रहा है।'' जब भी हम इस सृष्टि की ओर देखते है तो हमें परमेश्वर के सर्वशक्तिमान होने और इन्हें बनाने के पीछे जो उसकी अदभुत योजना है उसके प्रमाण मिलते है।
उदाहरण के लिए हम इस ब्रहमाण्ड की भौतिक संरचना और उसके असाधारण तालमेल को देख सकते है। यदि गुरूत्वीय बल थोडा सा अधिक होता तो सूर्य जीवन को जलाकर समाप्त कर देता। और यदि गुरूत्वीय बल थोडा सा कम होता तो हिलीयम से भारी किसी भी तत्व की रचना नही हो सकती थी। पचास से भी अधिक ऐसे भौतिक नियतांक है जिनके तालमेल ने इस ब्रहमाण्ड और जीवन को बचाया हुआ है।
जीव विज्ञान भी इस असाधारण डिजाईन के प्रमाण प्रस्तुत करती है। उदाहरण के लिए यदि हम आँख को देखे। यह एक अदभुत और जटिल अंग है जिसके विभिन्न भाग सामंजस्य के साथ कार्य करते है। जब सर आइसक न्यूटन ने आँख की जटिल सरंचना पर विचार किया तो उन्होनें लिखा, ''क्या दृष्टि और प्रकाश विज्ञान में निपुणता के बिना आँख को बनाना सभंव था?'' नही, इसके लिए एक निपुण सर्वशक्तिमान सृष्टिकृता की आवश्यकता थी। चार्ल्स डार्विन ने लिखा,''यह मानना कि आँख का निर्माण प्राकृतिक संग्रह के द्वारा हो सकता है, बिल्कुल बेतुका है और मै इस बात को स्वीकार करता हूँ।''
परमेश्वर की सृष्टि उसकी शक्ति और उसके अस्तित्व के पर्याप्त प्रमाण प्रस्तुत करती है। पौलुस ने रोमियों से कहा कि परमेश्वर के अस्तित्व के इतने प्रमाण है कि यदि इनके बावजूद भी कोई व्यक्ति उसमें विश्वास नही करता तो उसके पास क्षमा करने लायक कोई कारण नही है। (रोमियो 1:20)
पुरातत्व विज्ञान
बहुत सी पुरातत्वीय खोजें बाईबिल की ऐतिहासिक सत्यता को सिद्ध करती है। उदाहरण के लिए, बाईबिल में वर्णित बहुत से लोगों के अस्तित्व के प्रमाण मिटटी की मोहरो के रूप में पाये गये है। जब भी कोई पत्र या दस्तावेज किसी को भेजा जाता था तो उस पर मोम या मिट्टी की मुहर लगायी जाती थी जिस पर लिखने वाले का नाम होता था। इसी प्रकार की कुछ मोहरे पायी गयी है। (हालाकी जिन दस्तावेजो के लिए ये मुहरे प्रयोग की गयी थी वे टुकडे-टुकडे हो चुके है।) पायी गयी ये मुहरे निम्न व्यक्तियों से सम्बन्धित है:
बारूक, नेरिय्याह का पुत्र | यिर्मयाह 36:4 |
यरहमेल, राजा का पुत्र | यिर्मयाह 36:26 |
गमर्याह, शापान का पुत्र | यिर्मयाह 36:10 |
सरायाह, नेरिय्याह का पुत्र | यिर्मयाह 51:59 |
अजर्याह, हिलकिय्याह का पुत्र | 1 इतिहास 6:13 |
असल्याह, मशुल्लाम का पुत्र | 2 राजा 22:3 |
घटनाओं, स्थानों और लोगों से सम्बन्धित कुछ दूसरी पुरातत्वीय खोजे भी, बाईबिल की ऐतिहासिक सत्यता को सिद्ध करती है।
निरन्तरता
बाईबिल बहुत से अलग-अलग लेखकों के द्वारा लगभग 1600 वर्षो में लिखी गयी तो भी बाईबिल की किसी भी पुस्तक में कही भी आपस में जरा सा भी विरोधाभाष नही मिलता है। बाईबिल में विभिन्न ऐसे अलग अलग पद है जो आपस में एक दूसरे से सहमत है और बाईबिल के 'अनियोजित संयोग' को प्रदर्शित करते है। कुछ ऐसे ही उदाहरण निम्न लिखित है-
गिनती 13:33 | फिर हमने वहां नपीलो को, अर्थात नपीली जातिवाले अनाकवंशियो को देखा; और हम अपनी दृष्टि में तो उनके सामने टिड्डे के समान दिखाई पडते थे, और ऐसे ही उनकी दृष्टि में मालूम पडते थे। |
यहोशू 11:21-22 | उस समय यहोशू ने पहाडी देश में आकर हेब्रोन, दबीर, अनाब, वरन यहूदा और इस्राएल दोनों के सारे पहाडी देश में रहने वाले अनाकियो को नाश किया; यहोशू ने नगरो समेत उन्हें सत्यानाश कर डाला। इस्राएलियों के देश में कोई अनाकी न रह गया। केवल अज्जा, गत और अशदोर में कोई कोई रह गए। |
1 शमूएल 17:4 | तब पलिशितयों की छावनी में से एक वीर गोलियत नाम निकला, जो गत नगर का था, और उसके डील की लम्बाई छ: हाथ एक बित्ता थी। |
ये पद तीन अलग-अलग लेखको के द्वारा अलग-अलग समय पर लिखे गये तो भी इनमें आपस में पूर्णतया सामंजस्य है। पहला पद दिखाता है कि जब इस्राएली प्रतिज्ञा की गयी भूमि में पहुँचे तो वहां विशालकाय शक्तिशाली लोग (अनाकवंशी) थे। दूसरा पद दिखाता है कि बाद में इस्राएल में इन सभी विशालकाय लोगों को नष्ट कर दिया केवल तीन नगरों, अज्जा, गत और अशदोद में कोई कोई रह गया। तीसरे पद में लिखा है कि गोलियत, गत नगर का रहने वाला था। वह अवश्य ही अनाकवंशी था। अत: इन तीनों पदो के द्वारा हम बाईबिल की ऐतिहासिक सच्चाई को देख सकते है। यह कोई काल्पनिक कहानी नही है।
स्वास्थ्य व्यवस्था
मूसा की व्यवस्था में साफ-सफाई और स्वास्थ्य सम्बन्धी बहुत से नियम थे जो मानवीय स्वास्थ्य के लिए बहुत महत्वूपर्ण समझे जाते है। इस्राएली इस व्यवस्था को उस समय नही समझ सके। इसलिए यह व्यवस्था भी इस बात का प्रमाण है कि बाईबिल परमेश्वर की ओर से आयी है।
उदाहरण के लिए यदि हम देखे तो रेफ्रिजरेशन और पकाने की उचित विधि के विकास होने से पहले समुद्री भोजन खाने से पेट की समस्याऐं हो सकती थी। मूसा की व्यवस्था में इन्हें खाना प्रतिबन्धित था। (लैव्यवयवस्था 11:4-8, 10-12)
दूसरा उदाहरण मल को ढापने का है। आज की अपेक्षा उस समय मल को गलियों में डाला जाता था। गन्दगी में मक्खियां पैदा होती है और महामारी फैलाती है। हैजा, दस्त और टायफॉयड जैसी बिमारियों से लाखो जिन्दगी समाप्त हो जाती है। लेकिन इस्राएलियों के साथ इस प्रकार की कोई समस्या नही थी।
केवल परमेश्वर ही हजारों वर्षो पहले इस प्रकार की व्यवस्था दे सकता है जो आज विज्ञान की दृष्टि से भी सही है।
‘हम बाईबिल में विश्वास क्यों करें’ (Reasons to believe the Bible) is from ‘The Way of Life’ by Rob J. Hyndman
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दि क्रिस्टडेलफियन
पो. बा. न. -- 10
मुजफ्फरनगर (यूपी) -- 251002
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