तेरा वचन मेरे पांव के लिये दीपक, और मेरे मार्ग के लिये उजियाला है। भजन संहिता 119:105
अन्दर बुराई, बाहर बुराई
रेल्ड वाल्डो ईमरसन ने लिखा, ''हमारे भूतकाल और हमारे भविष्य की तुलना में अधिक महत्वपूर्ण यह है कि हमारे अन्दर क्या है।''
हमारे अन्दर क्या है? प्रभु यीशु मसीह ने हमसे कहा, ''जो कुछ मुंह से निकलता है वह मन से निकलता है, और वही मनुष्य को अशुद्ध करता है। क्योंकि कुचिन्ता, हत्या, परस्त्रीगमन, व्यभिचार, चोरी, झूठी गवाही और निन्दा मन ही से निकलती है ये ही है जो मनुष्य को अशुद्ध करती है।''
यह सूची ईमरसन के मस्तिष्क की उपज नही है बल्कि यह इस बात का दिव्य मूल्यांकन है कि ''हमारे भीतर क्या है।''
प्रभु यीशु मसीह ने हमें स्वयं को भीतर से जाचंने के लिए एक परीक्षण दिया है। उन्होनें कहा, ''जो मन में भरा है, वही मुंह पर आता है।'' हमारे मुंह से निकलने वाली बात यह निर्धारित करती है कि हमारे भीतर क्या है। प्रभु यीशु मसीह ने बताया ''जो मुंह में जाता है, वह मनुष्य को अशुद्ध नही करता, पर जो मुंह से निकलता है, वही मनुष्य को अशुद्ध करता है।''
तो आईये हम इस परीक्षण को करे: हमें किस विषय पर बातें करना अच्छा लगता है? आज लोगों की रूचि घोटालों, खेलकूद और भौतिक वस्तुओं के विषय में बातें करने में रहती है। क्या कोई हमारे काम पर या घर पर हमारी बातचीत सुनकर यह जानता है कि हम ईश्वरीय सोच रखने वाले बाईबिल के विद्यार्थी है? जब हमें गुस्सा आता है तो हमारे मुंह से क्या शब्द निकलते है?
कंप्यूटर का यह वाक्यांश ''गाबिज् इन, गाबिज् आऊट'' किसी सॉफ्टवेयर से कही अधिक है। यह हम पर भी लागू होता है । मनुष्य की प्रवृत्ति ऐसी है कि वह अपने भीतर ऐसी बातो को रखना चाहता है और यही कारण है कि उसके भीतर से, हद्वय से, ऐसी गम्भीर बातें निकलती है।
पौलुस रोमियों से कहता है कि ''इस संसार के सदृश न बनो।'' हमें रेडियो, टेलीविजन, अखबार और पत्रिकाओं का धन्यवाद देना चाहिये, यह संसार निरन्तर हमारे मस्तिष्क पर अपनी बुराई की बम वर्षा करता रहता है और यदि हम सचेत नही है तो हमें अचानक पता चलता है कि ये बुराई हमारे अन्दर भर गयी है: कूडा करकट (गाबिज्)।
जो हमारे भीतर है हम उसे बदल सकते है लेकिन इसके लिए एक बडे प्रयास की आवश्यकता है। हमारे प्रभु ने कहा, ''क्योंकि जो मन में भरा है, वही मुंह पर आता है। भला, मनुष्य मन के भले भण्डार से भली बातें निकालता है; और बुरा मनुष्य बुरे भण्डार से बुरी बातें निकालता है।''
हमें अपने आप से एक प्रश्न करने की आवश्यकता है और यह प्रश्न है कि हम अन्दर क्या रख रहे है? ईमरसन की बात पर पुन: विचार करे तो, हमारा भविष्य, हमारी भीतर की बातों के द्वारा निर्धारित होता है।
यदि हमारा मस्तिष्क परमेश्वर की बातों से भरा है तो ईमरसन का यह बयान गलत है क्योंकि हमारे भविष्य में होने वाली बातें छोटी नही है। हमारा भविष्य, अविनाशी शरीर पाकर प्रभु यीशु मसीह के साथ सदा सर्वदा के लिए, इस पृथ्वी पर राज्य करना है। उस महिमा के सामने जो भविष्य में है हमारी बीती बातें तुच्छ है। यूहन्ना कहता है, ''जब वह प्रगट होगा तो हम भी उसके समान होंगे, क्योंकि उसको वैसा ही देखेंगे जैसा वह है।'' वह ''उनकी आखों से सब आंसू पौंछ डालेगा'', और ''उसके द्वारा दिये गये उद्धार से हम आनन्दित और मगन होंगे।''
अत: हमें इस बात के प्रति सावधान रहना चाहिये कि हम क्या ग्रहण करे और हमें अपने आप को इस संसार के शोर और विचलन से बचाना चाहिये। हमें पौलुस की सलाह माननी चाहिये जब वह कहता है कि ''पढने और उपदेश और सिखाने में लौलीन रह। उस वरदान से जो तुझ में है, और भविष्यवाणी के द्वारा प्राचीनों के हाथ रखते समय तुझे मिला था, निश्चिन्त मत रह। उन बातो को सोचता रह और उन्हीं में अपना ध्यान लगाए रह, ताकि तेरी उन्नति सब पर प्रगट हो। अपनी और अपने उपदेश की चौकसी रख। इन बातों पर स्थिर रह, क्योंकि यदि ऐसा करता रहेगा, तो तू अपने सुननेवालो के लिए भी उद्धार का कारण होगा।''
परमेश्वर का राज्य
यीशु मसीह के पुन: आगमन पर ऐसे बदलाव होंगे जिनकी हम कल्पना भी नही कर सकते है। अनन्त जीवन पाना कैसा होगा? परमेश्वर का राज्य कहाँ है? प्रभु यीशु मसीह क्यों वापस आयेगें? परमेश्वर के राज्य का सुसमाचार बहुत ही उत्साहित करने वाला है, इसलिए इसे अवश्य पढें।
मुख्य पद – यहेजकेल 36:24-38
यहेजकेल की पुस्तक के अध्याय 36 में बहुत ही उत्साहित करने वाले शब्द है। अनआज्ञाकारी राष्ट्र इस्राएल नम्र होगा: वे मूर्तिपूजा छोड देंगे, अपने पापों से मन फिरायेगें और अपने प्रभु परमेश्वर की आज्ञा मानेगें। अन्त में इस्राएल के लोग पूरी सच्चाई से अपने सृष्टिकृता की महिमा करेंगे और यह पूरा संसार जान जायेगा कि परमेश्वर सर्वशक्तिमान है।
- पद 24 में कही गयी बात कब और कैसे पूरी हुय?
- इस्राएल को शुद्ध जल से शुद्ध किया जायेगा। (पद 25)
- यह आपको क्या बात याद दिलाता है?
- यह किस समय के विषय की बात है?
- परमेश्वर भौतिक आशीषो के साथ-साथ आत्मिक आशीषों की भी प्रतिज्ञा करता है। यह भौतिक आशीषें क्या है?
- किसके निमित्त परमेश्वर इस्राएल को आशीषे दे रहा है (पद 32)? क्या आपके पास अपने उत्तर के लिए आत्मिक प्रमाण है?
- पद 35 व 36 को पुन: पढे-
- इस्राएल के खण्डहर गढवाले किये गये और उजाड नगर बसाये गये। क्या इसका अर्थ है कि पद 35 में कही गयी बात पूरी हो चुकी है या इसका कुछ भाग पूरा हुआ है या अभी पूरा नही हुयी है? जकर्याह के अध्याय 14 पर विचार करें।
- पद 36 बची हुयी जातियों के विषय में क्यों बताता है?
- पुन: बसाए गये इस्राएल के राज्य पर कौन राज्य करेगा? देखें यहेजकेल 37:22,24 और लूका 1:31-33
परमेश्वर का राज्य इब्राहीम से की गयी प्रतिज्ञाओ का पूरा होना है। इब्राहीम के विश्वास के लिए (व्यवस्थाविवरण 9:4-6), परमेश्वर बलवा करने वाले इस्राएल को नष्ट नही करेगा बल्कि उन्हें प्रतिज्ञा की गयी भूमि देगा।
“और मैं तुझ को और तेरे पश्चात् तेरे वंश को भी, यह सारा कनान देश, जिस में तू परदेशी होकर रहता है, इस रीति दूंगा कि वह युग युग उनकी निज भूमि रहेगी, और मैं उनका परमेश्वर रहूंगा।’’ (उत्पत्ति 17:8)
यीशु मसीह का राजा बनना
प्रभु यीशु मसीह दाऊद के सिंहासन के अधिकारी बनकर वापस आयेगें और परमेश्वर के चुने हए लोगों को राज्य फेर देगें। यह उस नये संसार की शुरूआत होगी जिसमें मसीह, यरूशलेम से धार्मिकता, सच्चाई और न्याय से राज्य करेगा। यह मन फिराव का समय भी होगा – इस्राएल अवश्य ही मन फिरायेगा और प्रभु यीशु मसीह को मसीहा के रूप में स्वीकार करेगा:
“और दाऊद के घराने और यरूशलेम के निवासियों पर अपना अनुग्रह करने वाली और प्रार्थना सीखाने वाली आत्मा उडेलूंगा, तब वे मुझे ताकेगें अर्थात् जिसे उन्होनें बेधा है, और उसके लिए ऐसे रोएंगे जैसे एकलौते पुत्र के लिए रोते पीटते है, और ऐसा भारी शोक करेगें, जैसा पहिलौठे के लिए करते है।’’ (जकर्याह 12:10)
प्रभु यीशु मसीह यरूशलेम से “राजाओं के राजा और प्रभुओ के प्रभु” के रूप में पूरी पृथ्वी पर राज्य करेगें। इस प्रकार पवित्र शास्त्र में की गयी बहुत सी प्रतिज्ञायें और भविष्यवाणियां पूरी होगी। उदाहरण के लिए:
“यहोवा की व्यवस्था सिय्योन से, और उसका वचन यरूशलेम से निकलेगा। वह बहुत देशों के लोगों का न्याय करेगा, और दूर दूर तक की सामर्थी जातियों के झगडो को मिटाएगा।’’ (मीका 4:2-3)
“वह महान होगा; और परमप्रधान का पुत्र कहलाएगा; और प्रभु परमेश्वर उसके पिता दाऊद का सिंहासन उसको देगा। और वह याकूब के घराने पर सदा राज्य करेगा; और उसके राज्य का अन्त न होगा।’’ (लूका 1:32-33)
मसीह के पुन: आगमन पर केवल इस्राएल ही अपना मन नही फिरायेगें बल्कि:
- विश्वासियों (पुनर्रूत्थान किये गये और जो जीवित रहेगें) को अनन्त जीवन दिया जायेगा। (1 थिस्सलुनीकियो 4:16-17)
- हर-मगिदोन की लडाई में राष्ट्रो का न्याय किया जायेगा। (प्रकाशितवाक्य 16:14,16; जकर्याह 14:1-3)
- बचे हुए राष्ट्रो का मन फिराव होगा। (जकर्याह 8:20-23; 14:16)
- यरूशलेम में एक नया प्रार्थना का भवन बनाया जायेगा। (यशायाह 56:7)
शासन का प्रधान | लूका 1:31-33 | यीशु दाऊद के सिंहासन पर राज्य करेगा। उसके राज्य का कभी अन्त न होगा। |
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यशायाह 9:6-7 | वह दाऊद की राजगद्दी पर सदा सर्वदा के लिए राज्य करेगा। | |
जकर्याह 14:9 | यहोवा सारी पृथ्वी का राजा होगा। | |
शासन का केन्द्र | मीका 4:2 | यहोवा की व्यवस्था सिय्योन से, और उसका वचन यरूशलेम से निकलेगा। |
मत्ति 5:35 | यरूशलेम, महाराजा का नगर है। | |
जकर्याह 8:3 | यहोवा सिय्योन में लौटेगा और यरूशलेम के बीच में वास करेगा। | |
जकर्याह 8:22-23 | बहुत से देशों के लोग यरूशलेम में सेनाओं के यहोवा को ढूंढने आयेंगे। | |
शासक | दानिय्येल 7:27 | राज्य और प्रभूता पवित्र लोगों को दे दी जायेगी। |
प्रकाशितवाक्य 5:10 | पवित्र लोगो को राज्य में याजक बनाया जायेगा। | |
लूका 19:17 | विश्वासी लोग नगरों के अधिकारी होगें। | |
आराधना | सपन्याह 3:9 | देश-देश के लोग एक मन से कन्धे से कन्धा मिलाए हुए परमेश्वर की सेवा करेगें। |
जकर्याह 14:16 | प्रतिवर्ष लोग आराधना के लिए यरूशलेम जाया करेगें। | |
यशायाह 2:3 | लोग परमेश्वर के मार्ग सिखने के लिए यरूशलेम को जायेगें। | |
रक्षा | भजन संहिता 46:9 | यहोवा लडाईयो को मिटायेगा। |
यशायाह 2:4 | वह जाति-जाति का न्याय करेगा, और देश-देश के लोगों के झगडों को मिटाएगा; और वे अपनी तलवारे पीटकर हल के फाल और अपने भालो को हंसिया बनायेंगे; तब एक जाति दूसरी जाति के विरूद्ध फिर तलवार न चलाएगी, न लोग भविष्य में युद्ध की विद्या सीखेगें। | |
जकर्याह 9:10 | यीशु देशों के बीच शान्ति स्थापित करेगा। | |
यशायाह 60:12 | देश परमेश्वर की सेवा करेगें या नष्ट होगें। | |
शिक्षा | यशायाह 26:9 | जगत के लोग धर्म को सीखेगें। |
यशायाह 2:3 | यीशु हमें अपने मार्ग सिखाएगा। | |
यशायाह 30:20-21 | उपदेशक सही मार्ग सिखाएगें। | |
न्याय और निर्णय | यशायाह 11:4 | यीशु कंगालो का न्याय धर्म से, और पृथ्वी के नम्र लोगों का निर्णय खराई से करेगा। |
यशायाह 60:18 | तेरे देश में फिर कभी उपद्रव और तेरे सिवानों के भीतर उत्पात वा अन्धेर की चर्चा न सुनाई पडेगी। | |
स्वास्थ्य | यशायाह 35:5-6 | अन्धो की आंखे खोली जायेगी और बहिरों के कान भी खोले जायेगें। लंगडा हरिण की सी चौकडिया भरेगा। |
यशायाह 33:24 | लोग रोगी न होगें। | |
मन्दिर बनेगा | मीका 4:1-2 | यरूशलेम में एक पर्वत पर यहोवा का भवन होगा। |
यशायाह 56:7 | सब देशों के लोगों के लिए एक प्रार्थना का घर। | |
उत्पादक मरूस्थल | यशायाह 35:1,7 | मरूभूमि केसर की नाई फूलेगी। |
यशायाह 43:19 | मरूस्थल में नदियां बहेगी। | |
यशायाह 41:17-18 | निर्जल देश में जल के सोते होगें। | |
कृषि | आमोस 9:13-14 | फसल काटने वाला कटाई समाप्त भी न कर पायेगा कि हल चलानेवाला आ पहुंचेगा, बीज बोने वाले की बुआई पूरी भी न होगी कि दाखरस निकालने वाला आ जायेगा। |
भजन संहिता 72:16 | अयोग्य स्थानों पर फसलें पैदा होगी। | |
यशायाह 55:13 | कांटे और उटकटारे नही उगेंगे। | |
यशायाह 65:21-22 | लोग घर बनाकर उनमें बसेंगे। | |
सामाजिक सेवायें | भजन संहिता 72:12 | यीशु दरिद्र, दुखी और असहाय लोगों का उद्धार करेगा। |
भजन संहिता 72:4 | वह दीन लोगों का न्याय करेगा और दरिद्र लोगों को बचाएगा। |
एक उचित शासन
सभ्यता के विकास के प्रारम्भ से विभिन्न प्रकार के उचित शासनो को बनाने का प्रयास किया गया जैसे - सम्राज्यवाद, साम्यवाद, लोकतंत्र और अन्य दूसरे। मानवीय कमजोरियों के कारण ये सभी शासन असफल रहे। लालच, भ्रष्टाचार, अन्याय और अनुचित व्यवस्था इस बात को निश्चित करती है कि मसीह की पुन: वापिसी पर उसके राज्य करने तक ये मानवीय समस्यायें बनी रहेगी।
यीशु मसीह का शासन एक नया और पूर्ण व्यवस्था वाला शासन होगा। जो मसीह की आज्ञा मानने वालो के लिए शान्ति और समृद्धि लायेगा। पृथ्वी पुनर्योवित होगी, मरूस्थल फूले फलेगें, फसलें बहुतायत से होगी, वर्षा समय पर होगी और पशु बीमार न होगें।
“मैं तुम्हारे लिये समय समय पर मेह बरसाऊंगा तथा भूमि अपनी ऊपज उपजाएगी, और मैदान के वृक्ष अपने अपने फल दिया करेंगे; ... मैं तुम्हारे देश में सुख चैन दूंगा, और तुम सोओगे और तुम्हारा कोई डरानेवाला न होगा; और मैं उस देश में दुष्ट जन्तुओं को न रहने दूंगा, और तलवार तुम्हारे देश में न चलेगी। ... और मैं तुम्हारी और कृपा दृष्टि रखूंगा ... और मैं तुम्हारे मध्य चला फिरा करूंगा, और तुम्हारा परमेश्वर बना रहूंगा, और तुम मेरी प्रजा बने रहोगे।’’ (लैव्यव्यवस्था 26:4-12)
जो देश मसीह के आगे अपना घुटना नही टेकेंगे, उनमें वर्षा नही होगी जब तक कि वे मन नही फिरायेगें। इस प्रकार बलवा करने वाले देशों को दण्ड और आज्ञाकारी देशों को आशीषे देने के द्वारा मसीह शान्तिपूर्ण स्थाई शासन करेगा। (जकर्याह 14:17)
परमेश्वर के राज्य में अमरता पाये हुए पवित्र लोग याजक के रूप में मसीह के साथ कार्य करेंगें और ये मानवजाति को धार्मिकता सिखाएगें और पृथ्वी पर से बुराई को मिटायेगें। निपुणता के दृष्टान्त के द्वारा यीशु मसीह ने उसके राज्य में विश्वासी पवित्र लोगों के राज्य किये जाने का वर्णन किया है। (दानिय्येल 7:27, प्रकाशितवाक्य 1:6, 20:6; लूका 19:11-27)
सहस्त्राब्दी और उसके बाद
प्रकाशितवाक्य की पुस्तक यह बताती है कि पृथ्वी पर मसीह का राज्य 1000 वर्षो तक रहेगा। इन 1000 वर्षो के बाद, उसके शासन से घृणा करने वाले लोगों द्वारा अन्तिम बलवा किया जायेगा। प्रभु अपने विरोध में चलने वाले इन सभी लोगों को नष्ट करेगें और इस प्रकार सम्पूर्ण दुष्टता का अन्त हो जायेगा। और अन्त में जब पाप और मृत्यु नही रहेगी तो मसीह पवित्र लोगों के इस राज्य को परमेश्वर को सौंप देगा। (प्रकाशितवाक्य 20:3-4)
“इस के बाद अन्त होगा; उस समय वह सारी प्रधानता और सारा अधिकार और सामर्थ का अन्त करके राज्य को पिता परमेश्वर के हाथ में सौंप देगा। क्योंकि जब तक कि वह अपने बैरियो को अपने पांवो तले न ले आये, तब तक उसका राज्य करना अवश्य है। सबसे अन्तिम बैरी जो नाश किया जायेगा वह मृत्यु है ... और जब सब कुछ उसके अधीन हो जायेगा, तो पुत्र आप भी उसके अधीन हो जायेगा जिस ने सब कुछ उसके अधीन कर दिया; ताकि सब में परमेश्वर ही सब कुछ हो।’’ (1 कुरिन्थियों 15:24-28)
सारांश
प्रभु यीशु मसीह, धर्मी लोगों को अनन्त जीवन का पुरस्कार देने, न्याय करने, इब्राहिम से की गयी प्रतिज्ञाओं को पूरा करने, पवित्र लोगों के साथ नश्वर लोगों पर शासन करने, पृथ्वी से पाप और मृत्यु को मिटाने, और पवित्र लोगों के राज्य को सर्वशक्तिमान परमेश्वर के हाथ में सौपनें के लिए पुन: इस पृथ्वी पर आयेगें।
विचारणीय पद
- भजन संहिता 47:2, 103:19, 145:13; और दानिय्येल 4:32-35 को पढें। किस प्रकार परमेश्वर का राज्य विद्यमान है?
- जब प्रभु यीशु मसीह यह कहते है कि, “परमेश्वर का राज्य तुम्हारे बीच में है।” (लूका 17:21) तो इसका क्या अर्थ है? देखें कुलुस्सियों 1:12-14
- जकर्याह अध्याय 14 पढें-
- पद 2 और 3 में, की गयी भविष्यवाणी कैसे पूरी हुयी?
- इस्राएल में किन भौगोलिक परिवर्तनो के विषय में भविष्यवाणी की गयी?
- पूरब और पश्चिम के समुद्र क्या हैं? (पद 8)
- इस्राएल में कोई कनानी क्यों न रहेगा? (पद 21) इसका क्या अर्थ है?
- यीशु मसीह जब इस जगत में राज्य करेगें तो क्या पाप इस पृथ्वी पर रहेगा?
- लूका अध्याय 21 पढे। मसीह के पुन: आगमन से पहले क्या होगा?
अधिक जानकारी के लिए देखें
- इस राज्य के विभिन्न नाम है: परमेश्वर का राज्य, मसीह का राज्य, स्वर्ग का राज्य, ज्योति का राज्य, इस्राएल का राज्य और दाऊद का राज्य।
- इनमें से सबसे अधिक कौन सा नाम बाईबिल में प्रयोग हुआ है?
- राज्य के वर्णन के लिए इनमें से प्रत्येक नाम क्यो प्रयोग हुआ?
- जिब्राईल स्वर्गदूत ने मरियम से कहा कि यीशु "सदा सर्वदा" के लिए राज्य करेगें (लूका 1:33)। यह कैसे सच हो सकता है जबकि वे परमेश्वर को राज्य सौंप देगें? (1 कुरिन्थियों 15:25-28)
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